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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
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Holika Dahan : हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा होती है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को किया जाएगा। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा काल साया रहेगा। इसलिए होलिका दहन के लिए बहुत कम समय मिलेगा। आइए जानते हैं होलिका दहन का मुहूर्त और उसकी पौराणिक कथा के बारे में।
होलिका दहन की तिथि और मुहूर्त
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इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी। चूंकि छोटी होली पर दिनभर भद्रा का साया रहेगा इसलिए होलिका दहन रात 11:26 बजे के बाद ही किया जा सकेगा जब भद्रा समाप्त हो जाएगी।
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होलिका दहन की पौराणिक कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक असुर राजा ने अमरता की इच्छा की थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने ब्रह्मा जी से कठोर तपस्या की और अंततः ब्रह्मा जी ने उसे पांच वरदान दिए। इनमें शामिल था कि वह किसी भी प्राणी से नहीं मरेगा, न दिन में, न रात में, न कोई हथियार से, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न भीतर, न बाहर। इसके अलावा वह कभी नष्ट नहीं होगा और उसके पास अपार शक्ति रहेगी।इन वरदानों के बाद हिरण्यकश्यप ने अपने आप को अजेय समझा और अपने विरोधियों को सजा देने लगा। उसका एक बेटा था, प्रह्लाद जिसने अपने पिता के देवताओं के प्रति श्रद्धा को नकारते हुए भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा। यह प्रह्लाद की विष्णु के प्रति निष्ठा ने हिरण्यकश्यप को क्रोधित कर दिया और उसने अपने बेटे को मारने के कई प्रयास किए, जिनमें से सभी असफल रहे।
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होलिका ऐसे हुई आग में भस्म
एक बार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को मारने के लिए उसकी मदद की। होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। लेकिन उसमें यह भी था कि अगर वह किसी और को जलाने की कोशिश करेगी तो वरदान काम नहीं करेगा। भाई हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में बैठ गई। इसके बाद प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का नाम लिया तो प्रह्लाद बच गए और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई।
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