Advertisment

इस मंत्र के जाप से मिलती है आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक शक्ति, जानिए जप की विधि

गायत्री मंत्र को जीवन में अपनाकर आप अपने भीतर की शक्ति को जगा सकते हैं और एक संतुलित, सुखी जीवन जी सकते हैं। सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इसे वेदों की जननी कहा जाता है, क्योंकि यह ऋग्वेद (3.62.10) से लिया गया है। 

author-image
Mukesh Pandit
Gaytri Mantra
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

गायत्री मंत्र का जप एक शक्तिशाली साधना है, जो आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक स्तर पर लाभकारी है। यह न केवल बुद्धि को प्रबुद्ध करता है, बल्कि जीवन में शांति, सकारात्मकता और समृद्धि भी लाता है। नियमित और सही विधि से जप करने से व्यक्ति नकारात्मकता से मुक्त होकर अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होता है। गायत्री मंत्र को जीवन में अपनाकर आप अपने भीतर की शक्ति को जगा सकते हैं और एक संतुलित, सुखी जीवन जी सकते हैं। सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इसे वेदों की जननी कहा जाता है, क्योंकि यह ऋग्वेद (3.62.10) से लिया गया है। यह मंत्र सविता (सूर्य देव) को समर्पित है और इसे आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभों के लिए जप किया जाता है। गायत्री मंत्र का जाप करने की विधि, इसके लाभ और विशेषताएं न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और शांति भी लाती हैं। जानिए गायत्री मंत्र के जाप की विधि 

Advertisment

गायत्री मंत्र क्या है?

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

(अर्थ है: "हम उस परम तेजस्वी सविता (सूर्य देव) का ध्यान करते हैं, जो हमारे बुद्धि को प्रेरित और प्रबुद्ध करें।" यह मंत्र सृष्टि के तीनों लोकों (भूः, भुवः, स्वः) और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। इसे जपने से व्यक्ति की चेतना जागृत होती है और वह सत्य, ज्ञान और शांति की ओर अग्रसर होता है।) hindu festival | hindu boy | hindu bhagwa | hindu | hindu god

Advertisment

गायत्री मंत्र जप की विधि

गायत्री मंत्र का जाप करने की विधि सरल लेकिन नियमबद्ध है। इसे सही ढंग से करने से इसके लाभ अधिक प्रभावी होते हैं।  गायत्री मंत्र का जाप प्रातःकाल सूर्योदय के समय, दोपहर और सूर्यास्त के समय (संध्या काल) में करना सबसे उत्तम माना जाता है। विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4-6 बजे) में जप करने से अधिक लाभ मिलता है। एक शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें, जैसे पूजा कक्ष या मंदिर। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। आसन के लिए कुशा, ऊन या रेशमी कपड़ा उपयोग करें।

कैसे करें जप की तैयारियां:

Advertisment

एक माला (रुद्राक्ष या तुलसी) लें, जिसमें 108 मनके हों।
मन को शांत करें और गायत्री मंत्र के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करें।
प्रारंभ में ॐ का उच्चारण करें और फिर मंत्र जप शुरू करें।

मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही लय में करें।
एक माला (108 बार) या तीन माला (324 बार) जप करें। शुरुआती लोगों के लिए 11 या 21 बार जप भी पर्याप्त है। जप मानसिक (मन में), उपांशु (धीमी आवाज में) या वाचिक (उच्च स्वर में) हो सकता है। मानसिक जप को सबसे प्रभावी माना जाता है। जप के दौरान सविता (सूर्य) का ध्यान करें और मंत्र के अर्थ को आत्मसात करें। जप समाप्त करने के बाद कुछ क्षण शांत बैठकर ध्यान करें। गायत्री मंत्र की शक्ति को अपने भीतर महसूस करें और प्रार्थना करें कि यह आपकी बुद्धि को प्रेरित करे।

गायत्री मंत्र के क्या-क्या लाभ

Advertisment

आध्यात्मिक लाभ:
यह मंत्र चेतना को जागृत करता है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।
यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है।
गायत्री मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आंतरिक शांति प्रदान करता है।

मानसिक लाभ:
मंत्र जप से तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है।
यह बुद्धि को तेज करता है और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है, जो विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
नियमित जप से आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

शारीरिक लाभ:
गायत्री मंत्र का जप रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।
मंत्र की ध्वनि कंपन शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

सामाजिक और पारिवारिक लाभ:
गायत्री मंत्र जप करने से घर में सकारात्मक वातावरण बनता है।
यह पारिवारिक कलह को कम करता है और रिश्तों में सामंजस्य लाता है।

गायत्री मंत्र की विशेषताएं
सार्वभौमिक मंत्र: गायत्री मंत्र सभी धर्मों और समुदायों के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है।
छंद और शक्ति: यह मंत्र गायत्री छंद में रचित है, जिसमें 24 अक्षर होते हैं। प्रत्येक अक्षर एक विशेष ऊर्जा केंद्र (चक्र) को प्रभावित करता है।
वैज्ञानिक आधार: मंत्र के जप से उत्पन्न ध्वनि तरंगें मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सक्रिय करती हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सूर्य की ऊर्जा: सविता (सूर्य) की शक्ति को समर्पित होने के कारण यह मंत्र सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है।
आयुर्वेदिक महत्व: आयुर्वेद में गायत्री मंत्र को त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने वाला माना जाता है।

मंत्र का उच्चारण सही और शुद्ध होना चाहिए। गलत उच्चारण से लाभ कम हो सकता है। जप के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें। विचलित मन से जप कम प्रभावी होता है। गायत्री मंत्र का जप श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जप से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि यह व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है।

 

hindu god hindu hindu bhagwa hindu boy hindu festival
Advertisment
Advertisment