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100 साल से भी ज्‍यादा पुराना है दिल्‍ली का माता का Temple, दूर-दूर तक फैली है मां की ख्‍याति

दिल्ली के मध्य में स्थित झंडेवालान मंदिर एक ऐतिहासिक और प्राचीन सिद्धपीठ है। जिसे झंडेवाली माता के प्रति श्रद्धा और विश्वास से जोड़ा जाता है। यह मंदिर दिल्ली के करोल बाग स्थित झंडेवालान रोड पर स्थित है।

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Ranjana Sharma
Jhandewali
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दिल्ली के मध्य में स्थित झंडेवालान मंदिर एक ऐतिहासिक और प्राचीन सिद्धपीठ है। जिसे झंडेवाली माता के प्रति श्रद्धा और विश्वास से जोड़ा जाता है। यह मंदिर दिल्ली के करोल बाग स्थित झंडेवालान रोड पर स्थित है, और यहां भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। मंदिर में माता की पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं पूरी होने का विश्वास किया जाता है। इसे देवी शाक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।

ऐसे पड़ा ‘झंडेवाला मंदिर’ नाम

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झंडेवाली माता का मंदिर 100 साल से भी अधिक पुराना है। कहा जाता है कि दिल्ली के एक व्यापारी बद्री भगत को एक रात सपने में देवी ने दर्शन दिए और उन्हें बताया कि एक बंजर जमीन पर मेरी मूर्ति मिलेगी। जिसके ऊपर एक झंडा लहराएगा। बद्री भगत ने उस स्थान पर जाकर माता की मूर्ति ढूंढी और उस स्थान पर झंडे के नीचे मूर्ति मिल गई। इसके बाद उन्होंने उस स्थान पर माता की मूर्ति स्थापित की और मंदिर का नाम ‘झंडेवाला मंदिर’ पड़ा। मंदिर के अंदर माता के अलावा स्वयंभू शिवलिंग, हनुमान जी, गणेश जी और सरस्वती जी की भी प्रतिमाएं हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल बन चुका है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

नवरात्रि पर लगता है भक्‍तों का तांता 

मंदिर में दर्शन के समय ऋतु के अनुसार भिन्नता होती है। गर्मियों में मंदिर सुबह 5 बजे से 1 बजे तक और शाम 4 बजे से 10 बजे तक खोला जाता है, जबकि सर्दियों में यह सुबह 5.30 बजे से 1 बजे तक और संध्या समय 4 बजे से 9.30 बजे तक खुलता है। वैसे तो यहां हर समय ही भीड़ रहती है, लेक‍िन नवरात्रि के द‍िनों में यहां भक्‍तों का तांता लगा रहता है। विशेष पूजा अर्चना जैसे मंगल आरती, शृंगार आरती और संध्या आरती आयोजित की जाती है। मंगल आरती में सूखा मेवा भोग चढ़ाया जाता है, और सुबह 9 बजे तथा रात 8 बजे आरती होती है। कोरोना महामारी के दौरान, आरती को मंदिर के YouTube चैनल पर लाइव भी प्रसारित किया जाता है।
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पुजारी की बात

झंडेवालान मंदिर के पुजारी ने बताया  क‍ि माता झंडेवाली लक्ष्मी का स्वरूप हैं। जिनके एक तरफ मां काली और दूसरी तरफ मां सरस्वती विराजमान हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पंडित भीम दत्त ने बताया कि भक्तों की श्रद्धा इस मंदिर में इतनी गहरी है कि वर्षों से लोग इस पवित्र स्थल पर आते हैं और उन्हें विश्वास है कि मां के दरबार में हर समस्या का समाधान है।

मंदिर में विशेष घटनाएं और त्योहार

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मंदिर की विशेषता यह भी है कि नवरात्रि के दौरान यह 24 घंटे खुला रहता है और श्रद्धालुओं के लिए हर समय खुला रहता है। इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे आयोजित किए जाते हैं। मंदिर में मकर संक्रांति के दिन एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इसमें समाज के सभी वर्गों के लोग एकत्र होते हैं और खिचड़ी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके अतिरिक्त यहां धार्मिक कार्यक्रम जैसे श्रीमद्भागवत कथा, श्री हनुमान जयंती, शिवरात्रि पर शिव तांडव नृत्य नाटिका, अन्नकूट का विशाल भंडारा और रक्तदान शिविर जैसे सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

विश्वास और भक्ति का अद्भुत उदाहरण

झंडेवाला मंदिर की महिमा इतनी दूर-दूर तक फैली हुई है कि यहां केवल हिंदू धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी दर्शन के लिए आते हैं, जिनमें विदेशी भक्त भी शामिल हैं। यह मंदिर श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोग यहां आते हैं और उनके दिलों में यह विश्वास होता है कि माता झंडेवाली के दरबार में कोई भी मनोकामना खाली नहीं जाती। मंदिर के दिव्य दर्शन और आशीर्वाद से भक्तों की जीवन में सुख-समृद्धि आती है, और यह पवित्र स्थल एक ऊर्जा का स्रोत बन चुका है। झंडेवाली मां का यह द्वार भक्तों को हर मुश्किल से उबारता है और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करता है।
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