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JagannathPuriTemple Photograph: (AI)
पुरी।ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिरके ऊपर से पक्षी या हवाई जहाज का न उड़ना एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के वाहन, गरुड़ देव, मंदिर की रक्षा करते हैं। पक्षियों के राजा होने के कारण, अन्य पक्षी सम्मानवश या भय से इस क्षेत्र में उड़ान नहीं भरते। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, 214 फीट ऊंचे मंदिर के तटीय क्षेत्र में होने के कारण तेज हवाएं चलती हैं, जिससे पक्षियों को इतनी ऊंचाई पर संतुलन बनाना मुश्किल होता है। विमानों के लिए पुरी नो-फ्लाई जोन नहीं है, लेकिन वे आमतौर पर निर्धारित हवाई मार्गों से नहीं गुजरते। यह अद्भुत घटना आज भी आस्था और विज्ञान के बीच कौतूहल का विषय है।
अनसुलझा रहस्य
मालूम हो कि ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रहस्यों और अद्भुत घटनाओं का मेल है। ऐसा ही एक रहस्य है मंदिर के ऊपर से किसी भी पक्षी या जहाज का ना गुजरना। यह सुनने में किसी चमत्कार जैसा लगता है, जो आज भी भक्तों और वैज्ञानिकों दोनों के लिए एक दिलचस्प रहस्य बना हुआ है।
दिलचस्प रहस्य
भक्तों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ स्वयं जगत के नाथ हैं और उनके वाहन गरुड़ देव, जो पक्षियों के राजा माने जाते हैं, हमेशा मंदिर की रक्षा करते हैं। कहा जाता है कि जब गरुड़ देव पहरे पर हों, तो कोई दूसरा पक्षी मंदिर के ऊपर उड़ने की हिम्मत नहीं करता। लोग इसे भगवान की दिव्य शक्ति और मंदिर की पवित्रता का प्रमाण मानते हैं, जहां प्रकृति खुद भगवान की मर्यादा का पालन करती है।
मंदिर लगभग 214 फीट ऊंचा
वैज्ञानिकों की मानें तो पुरी समुद्र के बिल्कुल करीब है, जहां तेज और उलटे-सीधे झोंकों वाली हवाएं हमेशा चलती रहती हैं। मंदिर लगभग 214 फीट ऊंचा है और इसकी संरचना भी ऊंची, सीधी और शंक्वाकार है। ऐसी आकृति पर हवा टकराकर एक तरह का जटिल बहाव बनाती है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में 'वोर्टेक्स' कहा जाता है। इस तेज और अनिश्चित हवा में पक्षियों के लिए संतुलन बनाए रखना मुश्किल होता है। इसलिए वे मंदिर के ऊपर कम जाते हैं और आसपास ही उड़कर निकल जाते हैं।
आस्था और विज्ञान के बीच कौतूहल का विषय
कुछ लोग कहते हैं कि मंदिर के ऊपर लगे नीलचक्र की वजह से भी पक्षी नजदीक नहीं आते। यह चक्र आठ धातुओं से बना है और दूर से चमकता हुआ दिखाई देता है। इसके कारण भी पक्षी शायद ऊंचाई पर जाने से बचते हों। हालांकि, यह सिर्फ अनुमान है, क्योंकि इस पर कोई पक्का वैज्ञानिक शोध मौजूद नहीं है। जहां तक बात हवाई जहाजों की है, तो पुरी किसी भी मुख्य हवाई मार्ग पर नहीं आता है। हवाई जहाजों को यहां से गुजरने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसके लिए कोई सरकारी 'नो-फ्लाई जोन' जारी नहीं किया गया है। विमान मंदिर के ऊपर नहीं दिखते, क्योंकि उनका मार्ग ही यहां से गुजरता नहीं।
(इनपुट-आईएएनएस)
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