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कृष्ण पिंगला संकष्टीचतुर्थी हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह व्रत 14 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश के ‘कृष्ण पिंगला महा गणपति’ रूप की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इस व्रत से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य व धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया था, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। यह व्रत निसंतान दंपतियों को संतान सुख और परिवार की सुख-शांति के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
पूजा विधि
प्रातःकाल preparation: सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले या लाल वस्त्र धारण करें। घर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक, धूप, गंगाजल, रोली, चंदन, दूर्वा, फूल, मोदक, तिल के लड्डू, फल, पान, सुपारी, और जनेऊ तैयार रखें।
पूजा अनुष्ठान:
गणेश जी का जलाभिषेक करें, फिर सिंदूर, चंदन, और दूर्वा अर्पित करें। मोदक या तिल के लड्डू का भोग लगाएं। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। गणेश चालीसा और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। संध्या समय चंद्रोदय (14 जून 2025 को रात 10:50 बजे) पर चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य दें> चंद्र दर्शन के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें। इस व्रत में निर्जला या फलाहार का पालन किया जाता है। भक्तों को तामसिक भोजन से बचना चाहिए। यह व्रत भगवान गणेश की कृपा से जीवन के सभी विघ्नों को दूर करता है और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है
गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाती है
सनातन धर्म में भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाती है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। भगवन गणेश की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है। कीर्तन-भजन समेत विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर जाकर गणपति जी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।