लखनऊ, वाईबीएन नेटवर्क।
Mahakumbh Amrit Snan: महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। कुंभ मेले के दौरान 'अमृत स्नान' के लिए करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे और त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे। इस बार महाकुंभ बेहद खास है। ये 144 साल बाद हो रहा है और इसीलिए इसे 'पूर्ण महाकुंभ' नाम दिया गया है। आइए जानते हैं कि अमृत स्नान क्या है और आखिर क्यों इस बार का महाकुंभ बेहद खास है।
कुंभ और महाकुंभ की धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से अमृत की बूंदें धरती पर 4 जगहों पर गिरी थीं। जिन 4 जगहों पर अमृत गिरा था, वहां हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ मेला लगता है। मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान स्नान करने से पाप मिट जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि महाकुंभ का आयोजन केवल प्रयागराज में होता है।
क्या है अमृत स्नान?
अमृत स्नान को अब तक 'शाही स्नान' के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब से इसे 'अमृत स्नान' कहा जाएगा। अमृत स्नान के दिन सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं और इसके बाद आम लोग डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। मान्यता है कि 'अमृत स्नान' के दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्यफल की प्राप्ति होती है और पाप मिट जाते हैं। प्रयागराज में 144 साल बाद फिर विशेष गृह-नक्षत्रों का संयोग बन रहा है, जिसकी वजह से इस बार महाकुंभ स्नान बेहद खास है।
कब-कब होगा 'अमृतस्नान'?
महाकुंभ में सबसे ज्यादा लोग अमृत स्नान वाले दिन पहुंचते हैं। इस बार पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन यानी कि 14 जनवरी को होगा। दूसरा अमृतस्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होगा, वहीं तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन होगा। बता दें कि महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी को समाप्त होगा। इस दौरान प्रयागराज में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु आने का अनुमान है।
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