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मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि: धन, विद्या और वैवाहिक सुख के लिए करें 'गुरुवार व्रत'

गुरुवार का व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार का विधिवत व्रत करने से व्यक्ति को धन-संपदा की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

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YBN News
LordVishnus

LordVishnus Photograph: (ians)

नई दिल्ली। सनातन धर्म में गुरुवार का व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार का विधिवत व्रत करने से व्यक्ति को धन-संपदा की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा, गुरु बृहस्पति ज्ञान और बुद्धि के कारक ग्रह हैं, इसलिए यह व्रत करने से विद्या और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है।

मनचाहे वर की प्राप्ति

कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत मनचाहे वर की प्राप्ति में सहायक है, वहीं विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख प्राप्त होता है। व्रती को इस दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु को पीले फूल, चने की दाल और गुड़ अर्पित करना चाहिए। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि गुरुवार को है। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक मकर राशि में रहेगा। इसके बाद कुम्भ राशि में गोचर करेगा।

वैवाहिक सुख-सौभाग्य में लाभ

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस तिथि को कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन दिन के हिसाब से आप गुरुवार का व्रत रख सकते हैं। अग्नि पुराण, बृहस्पति स्मृति और महाभारत जैसे ग्रंथों में गुरुवार व्रत का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने मात्र से ही धन, विद्या और वैवाहिक सुख-सौभाग्य में लाभ मिलता है।

गुरुवार व्रत की शुरुआत

मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि की पूजा-अर्चना करने, गुरुवार के दिन व्रत करने व कथा सुनने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ग्रंथों में उल्लेख है कि अगर व्रत के दिन नियमों का पालन न किया जाए, तो भगवान श्री हरि विष्णु नाराज भी हो जाते हैं। अगर कोई भी जातक गुरुवार व्रत की शुरुआत करना चाहता है, तो वह किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से कर सकता है और 16 गुरुवार व्रत रख कर उद्यापन कर दें।

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पुण्य फल की प्राप्ति

माना जाता है कि जो इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही, पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रहे कि पीली चीजों का सेवन न करें। जो जातक व्रत नहीं रख सकते, वे विधि-विधान से पूजा कर या तो व्रत कथा सुनें या फिर पढ़ लें। वहीं, पूजा के दौरान भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसी कारण गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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