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जगन्नाथ पुरी मंदिर का रहस्य: प्रवेश करते ही क्यों थम जाती है समुद्र की गर्जना?

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे रहस्य और चमत्कार हैं, जिसका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है। ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है मंदिर के पास के समुद्र से।

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YBN News
JagannathPuri

JagannathPuri Photograph: (ians)

पुरी। ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ा एक अनोखा रहस्य लोगों को हमेशा चौंकाता है। कहा जाता है कि जैसे ही कोई व्यक्ति मंदिर के मुख्य द्वार ‘सिंहद्वार’ से अंदर प्रवेश करता है, समुद्र की गर्जना अचानक सुनाई देना बंद हो जाती है। जबकि मंदिर से बाहर निकलते ही आवाज फिर साफ सुनाई देती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह मंदिर की अनोखी वास्तुकला और ध्वनि तरंगों के प्रतिबिंब का परिणाम है। वहीं श्रद्धालु इसे भगवान जगन्नाथ का चमत्कार मानते हैं, जो भक्तों को शांत वातावरण में ध्यान लगाने का अवसर देता है।

एक रहस्य जुड़ा है मंदिर

मालूम हो कि ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे रहस्य और चमत्कार हैं, जिसका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है। ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है मंदिर के पास के समुद्र से।  

चमत्कार के पीछे पौराणिक कथा

कहा जाता है कि मंदिर के बाहर खड़े रहने पर समुद्र की लहरों की आवाज साफ सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही कोई भक्त सिंह द्वार से मंदिर में प्रवेश करता है, यह आवाज अचानक गायब हो जाती है। मंदिर के अंदर जाते ही अचानक से समुद्र की लहरों की आवाज आनी बंद हो जाती है। इस चमत्कार के पीछे एक पौराणिक कथा है जो देवी सुभद्रा से जुड़ी है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा समुद्र की तेज आवाज से परेशान रहती थीं। वे चाहती थीं कि मंदिर के अंदर शांति और एकांत बना रहे, ताकि भक्त बिना किसी व्यवधान के भगवान के दर्शन कर सकें।

एक अद्भुत व्यवस्था

जब भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन की इच्छा का सम्मान करते हुए एक अद्भुत व्यवस्था की। जैसे ही कोई भक्त मुख्य प्रवेश द्वार (सिंह द्वार) से मंदिर में कदम रखता है, समुद्र की गर्जना अचानक थम जाती है। इसे एक दिव्य चमत्कार माना जाता है, जो दिखाता है कि भगवान अपने भक्तों और प्रियजनों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी नियम को बदल सकते हैं।

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सकारात्मक ऊर्जा और शांति का केंद्र

ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से मंदिर को सकारात्मक ऊर्जा और शांति का केंद्र माना जाता है। जैसे ही कोई भक्त इस पवित्र स्थल पर आता है, वह बाहरी शोर और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हो जाता है। मंदिर की वास्तुकला और देवताओं की ऊर्जा का संतुलन इस तरह से किया गया है कि यह बाहरी ध्वनि और कंपन को अवशोषित कर लेती है। यह एक तरह का ऊर्जा कवच बनाता है, जो मंदिर के भीतर हर किसी को पवित्र और शांत अनुभव प्रदान करता है।

हनुमान को मंदिर की रक्षा का जिम्मा सौंपा

एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान हनुमान को मंदिर की रक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। हनुमान जी की शक्ति से समुद्र की आवाज मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती। इसके पीछे की वजह थी कि भगवान जगन्नाथ की निद्रा और मंदिर के भीतर के शांत वातावरण में कोई खलल न पड़े।

 (इनपुट-आईएएनएस)

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