Advertisment

Tirupati Balaji में बालों को दान करने की ये है रहस्यमयी वजह

Tirupati Balaji: आप जानते ही होंगे कि लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर तिरुपति बजाजी को अपने बाल चढ़ाते हैं। दरअसल, तिरुपति मंदिर में बाल दान करने की परंपरा काफी पुरानी है।

author-image
Kamal K Singh
tirupati balaji

Photograph: (google )

दिल्लीवाईबीएन नेटवर्क: आप जानते ही होंगे कि लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर तिरुपति बजाजी को अपने बाल चढ़ाते हैं। दरअसल, तिरुपति मंदिर में बाल दान करने की परंपरा काफी पुरानी है। लेकिन सवाल यह है कि यह कितनी पुरानी है, क्या इसका उल्लेख पुराणों या किसी हिंदू धार्मिक ग्रंथ में है? ऐसे कई सवाल हैं जो आपके मन में भी उठ रहे होंगे, तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

Advertisment

पहली कथा :

यह तब हुआ जब भगवान वेंकटेश्वर नीलाद्रि पर्वत पर सो रहे थे। उसी समय देवी नीलाद्रि वहां पहुंची और उन्होंने देखा कि भगवान वेंकटेश्वर के सिर का एक हिस्सा बिना बालों वाला था और वह एक धब्बे जैसा लग रहा था। यह देखने के बाद देवी नीलाद्रि ने अपने सिर से बाल निकाला और भगवान वेंकटेश्वर के सिर के उस हिस्से पर रख दिया जहां उनके बाल नहीं थे। देवी नीलाद्रि ने सोचा कि इससे भगवान की सुंदरता और बढ़ जाएगी।

जब जगत के स्वामी भगवान विश्राम के बाद उठे तो उन्होंने देखा कि उनके सिर के उन हिस्सों पर बाल उग आए हैं, जहां पहले एक धब्बा था। जबकि उनके बगल में बैठी देवी नीलाद्रि के सिर से खून बह रहा था।

Advertisment

यह भी पढ़ें :1 January से बदल गए हैं ये नियम, आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर!

देवी नीलाद्रि के सिर से बहते रक्त को देखकर उन्होंने अपने बाल वापस देने की पेशकश की, लेकिन देवी नीलाद्रि ने इसे लेने से इनकार कर दिया और कहा कि "भविष्य में, जो भी भक्त इस स्थान पर अपने बाल दान करेगा, उसे सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा और उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।"

Tirupati Balaji 2
Photograph: (google )
Advertisment

दूसरी कथा: 

इस मामले पर एक अन्य कथा के अनुसार कहा जाता है. एक बार बालाजी की मूर्ति पर चींटियों का पहाड़ बन गया था। पड़ोसी गांव में एक किसान की गाय हर रोज वहां जाती थी और दूध देकर चली जाती थी। इससे किसान को बहुत गुस्सा आया और गुस्से में उसने अपनी गाय पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया, कुल्हाड़ी सीधे बालाजी के सिर पर गिरी और इससे उनके बाल जमीन पर गिर गए।

यह भी पढ़ें : जेल गए Donald Trump तो कौन होगा अमेरिका का राष्ट्रपति ?

Advertisment

यह देखकर देवी नीलाद्रि ने अपने बाल उतारकर भगवान वेंकटेश्वर के सिर पर रख दिए, जिससे उनके सिर पर लगी चोट तुरंत ठीक हो गई। इससे भगवान वेंकटेश्वर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा, "जो बाल किसी व्यक्ति के शरीर की सुंदरता को पूर्ण करते हैं, तुमने बिना सोचे-समझे उसे मेरे लिए बलिदान कर दिया। आज से अगर कोई भक्त मेरे लिए अपने बालों का बलिदान देगा, तो मैं उसे मनचाहा फल दूंगी।" तभी से आज तक बालाजी मंदिर में बाल दान करने की परंपरा चली आ रही है।

यह भी पढ़ें: 2025 की बड़ी चुनौती, Trump के साथ पड़ोसी देशों से कैसे निपटेगा भारत ?

Advertisment
Advertisment