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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तैयार की गई पाठ्यपुस्तकों को लेकर मिल रही प्रतिक्रियाओं की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। हालांकि परिषद की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि समिति किस विशेष पुस्तक या विषय की जांच करेगी।
स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार की
एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनईपी के तहत परिषद ने आधारभूत और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) तैयार की है। इसके अनुरूप, परिषद ने नई पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण-अधिगम सामग्री का निर्माण किया है, जिन पर विभिन्न हितधारकों से लगातार सुझाव और प्रतिक्रियाएं मिलती रहती हैं। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में कुछ पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को लेकर विशेष तौर पर फीडबैक प्राप्त हुआ है, इसलिए परिषद की स्थापित परंपरा के अनुसार, विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है। इस समिति में प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों के विषय विशेषज्ञ और संबंधित विषय के संकाय सदस्य शामिल हैं, जिसका संयोजन पाठ्यक्रम विभाग के प्रमुख करेंगे। यह समिति उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर फीडबैक की समीक्षा करेगी और ज़रूरत होने पर उचित सुधार की सिफारिश करेगी।
ये होंगी सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक
हाल ही में एनसीईआरटी की कक्षा आठ की सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक ‘समाज की खोज: भारत और उससे आगे’ को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। इस पुस्तक में मुगल सम्राटों के शासन को लेकर कुछ टिप्पणियां की गई हैं, जैसे कि अकबर के शासन को "क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण", बाबर को "क्रूर विजेता" और औरंगज़ेब को "सैन्य शासक" बताया गया है, जिसने गैर-मुसलमानों पर फिर से कर लगाया था। यह पुस्तक एनसीईआरटी की नई पाठ्यचर्या की पहली ऐसी किताब है जो छात्रों को दिल्ली सल्तनत, मुगल काल, मराठाओं और औपनिवेशिक युग से परिचित कराती है।