मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता। शहर के निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को अब राहत मिल सकती है। वजह – जिला प्रशासन ने 33 ऐसे स्कूलों पर बड़ा जुर्माना लगाया है, जो एनसीईआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोप रहे थे और बच्चों को खास दुकानों से ही किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे थे। हर स्कूल पर एक-एक लाख रुपये का दंड लगाया गया है, यानी कुल 33 लाख रुपये का जुर्माना।
शिकायतों से शुरू हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई यूं ही नहीं हुई। अभिभावकों की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं न सिर्फ किताबें महंगी लगवा रहे हैं, बल्कि उन्हीं दुकानों से खरीदने का दबाव भी बना रहे हैं, जिनसे स्कूलों की सांठगांठ है। जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने इस पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए।
क्या निकला जांच में?
जांच में साफ हो गया कि कई स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें चला रहे थे, जबकि नियमों के अनुसार उन्हें एनसीईआरटी की किताबें अपनानी चाहिए थीं। और इतना ही नहीं, बच्चों को किताबें लेने के लिए ‘चिह्नित’ बुक डिपो तक सीमित कर दिया गया था। यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम का उल्लंघन माना गया।
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