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गाजियाबाद में पार्किंग बनी बड़ी समस्या

कुछ समय से गाजियाबाद में एक नई समस्या बनकर उभर रही है "अवैध पार्किंग" देखा गया है कि किसी भी हॉस्पिटल, सरकारी कार्यालय या ऐसी जगह जहां पर आम व्यक्ति की चहल-पहल ज्यादा होती है वहां पर नो पार्किंग जोन होने के बाद भी नगर निगम गाजियाबाद

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Kapil Mehra
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फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार
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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता 

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अवैध पैठ बाजार, अवैध अतिक्रमण के बाद अवैध पार्किंग गाजियाबाद में एक नई समस्या कर उठा रही है। 

नो पार्किंग जोन में अवैध पार्किंग

कुछ समय से गाजियाबाद में एक नई समस्या बनकर उभर रही है "अवैध पार्किंग" देखा गया है कि किसी भी हॉस्पिटल, सरकारी कार्यालय या ऐसी जगह जहां पर आम व्यक्ति की चहल-पहल ज्यादा होती है वहां पर नो पार्किंग जोन होने के बाद भी नगर निगम गाजियाबाद द्वारा पार्किंग के ठेके आवंटित कर दिए जाते हैं। 

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फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

बात करते हैं शहर की मुख्य सड़कों की। 

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नेहरू नगर यशोदा हॉस्पिटल मैं आने वाले मरीजों के तीमारदार जब अपने दोपहिया या चार पहिया वाहनों को अस्पताल के बाहर खड़ा करते हैं तो उन्हें नगर निगम द्वारा प्राइवेट ठेकेदारों को आवंटित पार्किंग शुल्क देना पड़ता है।

लगता है जाम 

अस्पताल के बाहर लगता है लंबा जाम वजह सिर्फ एक निगम द्वारा आवंटित पार्किंगI

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नगर निगम द्वारा पार्किंग का ठेका मनमाने तरीके से आवंटित कर दोपहिया, चार पहिया वाहनों से ठेकेदार द्वारा पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। 

मॉल के बाहर पार्किंग

चौधरी मोड़ स्थित ऑपोलेंट मॉल के बाहर भी यही आलम है की पार्किंग माफिया के 10 से 15 लड़के सड़क पर घूमते रहते हैं और गाड़ी खड़ी करने के एवज में पर्ची काटकर वसूली करते हैं। शहर की मुख्य सड़के जहां पर ट्रैफिक का दबाव अधिक रहता है वहां निगम किस नियम के तहत इस तरह के पार्किंग के ठेके आवंटित कर देता है। सोचने का विषय है।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

जिला गाजियाबाद में आप कहीं का भी रख कर लीजिए मुख्य सड़कों पर निगम द्वारा पार्किंग के ठेके आवंटित कर दिए गए हैं जिससे वहां पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है आखिरकार किस नियम के तहत यह है पार्किंग के ठेके आवंटित करे जाते हैं ।

जिला कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर अपर पुलिस कमिश्नर आयुक्त का ऑफिस है जिला कोर्ट से लेकर इंग्राम स्कूल तक सर्विस रोड जो की पुलिस व निगम द्वारा नो पार्किंग जोन घोषित है फिर भी वहां पर अवैध पार्किंग बनाकर वसूली जोरों पर है। 

पार्किंग माफिया के हौसले इतने बुलंद बुलंद है कि मुख्य सड़क पर भी अब इन्होंने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

पुलिस के झंडे व पुलिस के चिन्ह का करते हैं इस्तेमाल

अपर पुलिस कमिश्नर कार्यालय के सामने  ग्रीन बेल्ट पर बनी अवैध दोपहिया पार्किंग पर पुलिस के बैनर में उत्तर प्रदेश पुलिस के चिन्ह को लगाकर पार्किंग के लिए नियम तक लिखे हुए हैं। 

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

आंखें मूंद कर बैठा है पुलिस प्रशासन 

प्रशासनिक कार्यालय के बाहर सर्विस रोड जोकि पुलिस प्रशासन द्वारा नो पार्किंग जोन घोषित है वहां सिविल पुलिस व ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी हमेशा रहती है फिर भी नो पार्किंग जोन घोषित होने के बाद भी लगातार पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। 

जिस प्रकार पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद मैं शहर की सड़कों को जाम करने वाले अवैध पैठ बाजारों पर अंकुश लगाया है। क्या इस तरह शहर की सड़कों को जाम करने वाली अवैध पार्किंग ऊपर कारवाई हो पाएगी। 

आए दिन होते हैं विवाद

अवैध पार्किंग स्थलों पर स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी लेकर वहां खड़ा होता है तो उसे हटाने के लिए पार्किंग माफिया के गुंडे इकट्ठे हो जाते हैं या पार्किंग की पर्ची कटवाने के लिए जोर देते हैं या उस वाहन को वहां से हटने के लिए धमकाते हैं।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

नगर निगम की भूमिका है संदिग्ध 

नगर निगम किस नियम के तहत पार्किंग के ठेके आवंटित करता है वह भी एक रहस्य से कम नहीं है। 

आपको बता दे कुछ समय पूर्व जस्सीपुरा फ्लाईओवर के नीचे रातों-रात पार्किंग शुल्क के नगर निगम द्वारा बोर्ड लगा दिए गए थे जिसका विरोध दूदेश्वरनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं व मंदिर प्रशासन ने किया था। विरोध के बाद नगर निगम आया था बैक फुट पर और श्रद्धालुओं और मंदिर के लिए पार्किंग को करा था मुफ्त।

यदि पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद इस गंभीर समस्या पर विचार करें तो शहर में जगह-जगह लगने वाले जाम से आम जनता को बहुत जल्दी छुटकारा मिल जाने की संभावना है

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

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