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Ghaziabad Crime - 74 लाख का 'खेल', सचिव और पूर्व अध्यक्ष पर गबन का सनसनीखेज आरोप

इस मामले ने सहकारी समितियों के प्रति लोगों का भरोसा डगमगा दिया है। अब सबकी नजर पुलिस की जांच और उस कार्रवाई पर है, जो इस घोटाले के दोषियों को सजा दिलाएगी।यह मामला न केवल एक वित्तीय घोटाला है, बल्कि यह उस विश्वास का भी उल्लंघन है,

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Kapil Mehra
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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गाजियाबाद में रेल नगर कल्याण सहकारी आवास समिति लिमिटेड के सचिव प्रवीण कुमार शर्मा और तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद नैय्यर पर 74.35 लाख रुपये के गबन का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला तब सामने आया, जब अपर आवास आयुक्त और अपर निबंधक आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ के आदेश पर सहकारी अधिकारी ने कविनगर थाने में दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। यह खुलासा सहकारी समितियों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है, जिसने स्थानीय निवासियों को हैरान कर दिया है।

कैसे उजागर हुआ घोटाला?

एसीपी कविनगर स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि वसुंधरा कांप्लेक्स स्थित आवास व विकास परिषद कार्यालय में तैनात सहकारी अधिकारी आरके वर्मा ने शिकायत दर्ज की। उनके अनुसार, समिति के सचिव प्रवीण कुमार शर्मा ने नवयुग मार्केट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक से 74 लाख 35 हजार 224 रुपये निकाले। चौंकाने वाली बात यह है कि इस राशि का कोई हिसाब-किताब न तो समिति के पदाधिकारियों को दिया गया और न ही सदस्यों को इसकी जानकारी थी।

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शिकायत के बाद गठित जांच कमेटी ने मामले की गहराई से छानबीन की। जांच में पाया गया कि प्रवीण कुमार शर्मा ने 2016-17 के कोई अभिलेख कमेटी को उपलब्ध नहीं कराए। इसके अलावा, समिति की बैठकों और कार्यवाही पुस्तिका में भी किसी अनियमितता का जिक्र नहीं था। जांच ने यह भी खुलासा किया कि तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद नैय्यर भी इस गड़बड़ी में शामिल थे।

21 लाख का 'औचित्यहीन' भुगतान

जांच में सबसे सनसनीखेज खुलासा यह हुआ कि सचिव ने पांच फर्मों को 21 लाख 74 हजार 989 रुपये का भुगतान किया, जबकि इन फर्मों का भूमि अधिग्रहण पहले ही हो चुका था और प्रतिकर भी अवार्ड किया जा चुका था। फिर भी, इन फर्मों को बिना किसी औचित्य के लाखों रुपये दे दिए गए। यह सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी राशि का भुगतान क्यों और कैसे किया गया? क्या यह केवल लापरवाही थी या सुनियोजित साजिश?

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पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रवीण कुमार शर्मा और राजेंद्र प्रसाद नैय्यर के खिलाफ भारतीय नवसंगठन संहिता (बीएनएस) के तहत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें धोखाधड़ी (धारा 318(4)), दस्तावेजों की जालसाजी (धारा 338), जाली दस्तावेजों का प्रयोग (धारा 336(3)), और नकली दस्तावेजों को असली बताकर प्रयोग करने (धारा 340(2)) की धाराएं शामिल हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दावा किया है।

सवालों के घेरे में सहकारी समितियां

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रेल नगर कल्याण सहकारी आवास समिति का यह मामला सहकारी समितियों के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर कैसे एक सचिव और अध्यक्ष बिना किसी जवाबदेही के लाखों रुपये निकाल सकते हैं? समिति के सदस्यों को अंधेरे में क्यों रखा गया? क्या अन्य सहकारी समितियों में भी ऐसी अनियमितताएं चल रही हैं? यह घटना न केवल रेल नगर के निवासियों, बल्कि पूरे शहर के लिए एक चेतावनी है कि सहकारी संस्थाओं में पारदर्शिता और निगरानी की कितनी जरूरत है।

निवासियों में रोष, कार्रवाई की मांग

रेल नगर के निवासियों में इस खुलासे के बाद गुस्सा और निराशा है। कई सदस्यों ने समिति के कामकाज पर सवाल उठाए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस मामले ने सहकारी समितियों के प्रति लोगों का भरोसा डगमगा दिया है। अब सबकी नजर पुलिस की जांच और उस कार्रवाई पर है, जो इस घोटाले के दोषियों को सजा दिलाएगी।

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