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Ghaziabad Crime -12 साल के मासूम की हत्या: मौसी बनी हत्यारिन, 24 घंटे में पुलिस ने खोला राज

आवश्यक है कि हम बच्चों को डांट-फटकार या सजा से पहले समझें, उनके साथ समय बिताएं और उनकी गलतियों को सुधारने का मौका दें। क्योंकि एक गलत कदम, जैसा रहमती ने उठाया, सिर्फ त्रासदी ही लाता है। यह वक्त है आत्ममंथन का, ताकि भविष्य

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Kapil Mehra
girl murder case

Photograph: (File)

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

गाजियाबाद में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। एक 12 साल के मासूम बच्चे की निर्मम हत्या का खुलासा पुलिस ने मात्र 24 घंटे में कर दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि बच्चे की मौसी रहमती खातून थी, जिसने अपने ही गोद लिए बच्चे की जान ले ली। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, और मामला अब न्यायिक प्रक्रिया में है।

घटना की चौंकाने वाली सच्चाई

पुलिस जांच के अनुसार, रहमती खातून और उसके पति ने बच्चे को कुछ समय पहले गोद लिया था। शुरू में सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे बच्चे की शरारतें और कथित चोरी की आदतें मौसी के लिए असहनीय हो गईं। घटना वाले दिन बच्चे ने एक दुकान से पैसे चुराए, जिससे गुस्साई रहमती ने आपा खो दिया। गुस्से के आवेग में उसने बच्चे का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

हत्या के बाद वह फरार हो गई, लेकिन गाजियाबाद पुलिस की मुस्तैदी ने उसे छिपने का मौका नहीं दिया।पुलिस ने तकनीकी साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन के आधार पर न केवल शव बरामद किया, बल्कि रहमती को भी धर दबोचा। रहमती के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हैरानी की बात यह है कि आरोपी का पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन एक पल का गुस्सा उसे हत्यारिन बना गया।

पुलिस की तारीफ, समाज में सनसनी

गाजियाबाद पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई की हर तरफ तारीफ हो रही है। पुलिस अधीक्षक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सूचना मिलते ही एक विशेष जांच दल बनाया गया, जिसने रात-दिन एक कर आरोपी को पकड़ा। सीसीटीवी, फोन ट्रैकिंग और गवाहों के बयानों ने पुलिस को तेजी से नतीजे तक पहुंचाया। यह कार्रवाई न केवल पुलिस की दक्षता दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि तकनीक और तत्परता मिलकर कितने बड़े मामले सुलझा सकती हैं।

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एक हादसा, कई सवाल

यह मामला सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि समाज और परिवारों के लिए एक गहरा सबक है। गोद लिया बच्चा हो या खुद का, बच्चों की शरारतों को समझने और संभालने के लिए धैर्य चाहिए। रहमती का गुस्सा एक मासूम की जान ले गया, लेकिन यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या एच्चे की गलती इतनी बड़ी सजा की हकदार थी? किशोरावस्था में बच्चे अक्सर गलतियां करते हैं, लेकिन हिंसा के बजाय संवाद और मार्गदर्शन ही इसका हल है।

समाज को झकझोरता सच

यह घटना हमें परिवार, रिश्तों और बच्चों की परवरिश पर दोबारा सोचने का मौका देती है। गुस्से की एक चिंगारी ने न केवल एक बच्चे की जिंदगी छीन ली, बल्कि एक परिवार को भी बिखेर दिया। गाजियाबाद पुलिस ने भले ही 24 घंटे में केस सुलझा लिया, लेकिन यह सवाल अब भी हवा में तैर रहा है कि क्या हमारा समाज बच्चों के प्रति पर्याप्त संवेदनशील है?

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