गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
आज शुक्रवार का दिन, सूरज की किरणें अभी पूरी तरह खिल भी नहीं पाई थीं कि गाजियाबाद की सड़कों पर एक अलग ही रंग नजर आने लगा। आज 4 अप्रैल है, और उत्तर प्रदेश सरकार ने जुमे की नमाज को लेकर जो तैयारियां की हैं, वो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लग रही हैं। गाजियाबाद, जो हमेशा से अपनी हलचल और विविधता के लिए जाना जाता है, आज सुरक्षा के एक अभेद्य किले में तब्दील हो गया है। सवाल ये है कि आखिर क्या है इस अलर्ट का राज? और क्यों लगता है कि आज का दिन इतिहास के पन्नों में कुछ अलग लिखने जा रहा है?
धारा 163 का कवच और फ्लैग मार्च की गूंज
सुबह-सुबह गाजियाबाद की गलियों में पुलिस के जूतों की थपथपाहट और फ्लैग मार्च की धमक सुनाई देने लगी। यूपी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। गाजियाबाद जिला प्रशासन ने धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी है। सड़कों पर पुलिस की गाड़ियां, ड्रोन की भनभनाहट और जवानों की मुस्तैदी देखकर लगता है मानो शहर किसी अनचाहे तूफान से पहले की शांति में सांस ले रहा हो। लेकिन ये तूफान मौसम का नहीं, बल्कि सुरक्षा और सतर्कता का है।
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फ्लैग मार्च में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, हमें ऊपर से साफ निर्देश हैं कि कोई ढील न बरती जाए। हर मस्जिद, हर चौराहे, हर संवेदनशील इलाके पर नजर रखी जा रही है। गाजियाबाद में ये नजारा नया नहीं है, लेकिन इस बार की तैयारियां कुछ ज्यादा ही सघन लग रही हैं। शायद इसलिए कि हाल के दिनों में देश भर में कई घटनाओं ने प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है।
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यूपी में हाई अलर्ट: सिर्फ गाजियाबाद ही क्यों?
हालांकि गाजियाबाद इस कहानी का केंद्र बिंदु है, लेकिन सच तो ये है कि पूरा उत्तर प्रदेश आज हाई अलर्ट पर है। लखनऊ से लेकर प्रयागराज, आगरा से मेरठ तक, हर शहर में पुलिस और प्रशासन की टीमें मुस्तैद हैं। जुमे की नमाज के बाद किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए ड्रोन कैमरे, अतिरिक्त पुलिस बल और खुफिया टीमें तैनात की गई हैं। गाजियाबाद को खास तवज्जो इसलिए भी दी जा रही है, क्योंकि ये शहर दिल्ली की सीमा से सटा हुआ है और इसकी आबादी में विविधता इसे संवेदनशील बनाती है।
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एक स्थानीय निवासी, मोहम्मद अली, जो पास की मस्जिद में नियमित रूप से नमाज अदा करते हैं कहते हैं, हमें अपनी इबादत में कोई दिक्कत नहीं है। पुलिस की मौजूदगी से सुरक्षा का एहसास होता है, लेकिन इतना सब देखकर थोड़ा अजीब भी लगता है। क्या वाकई कोई खतरा है? अली का सवाल वाजिब है, लेकिन जवाब शायद सरकार की रणनीति में छिपा है, जो पहले से ही किसी भी जोखिम को टालना चाहती है।
एक नई कहानी का आगाज?
जुमे की नमाज को लेकर ये सतर्कता कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ सालों में यूपी में कई मौकों पर नमाज के बाद प्रदर्शन या तनाव की खबरें सामने आई हैं। लेकिन इस बार का माहौल कुछ हटकर है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में वक्फ संशोधन बिल के पारित होने के बाद ये पहला जुम्मा है, और शायद यही वजह है कि सरकार कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। गाजियाबाद की सड़कों पर चलते हुए ऐसा लगता है जैसे हर कदम पर एक कहानी लिखी जा रही हो शांति की, सतर्कता की, और एकजुटता की।
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शहर की सांसें और सुरक्षा का पहरा
जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ेगी। लेकिन इस बार हर नजर के पीछे एक सवाल होगा क्या ये दिन शांति से गुजर जाएगा, या फिर कोई नया मोड़ लेगा? गाजियाबाद के बाजार, जो आमतौर पर शुक्रवार को गुलजार रहते हैं, आज थोड़े सहमे हुए से लग रहे हैं। दुकानदारों की बातचीत में भी पुलिस की गहमागहमी छाई हुई है। एक चायवाले, रामू, ने हंसते हुए कहा, साहब, आज चाय कम बिकेगी, लोग घरों में ही रहेंगे। लेकिन ठीक है, सुरक्षित रहें, यही जरूरी है।
अंत में एक सवाल
गाजियाबाद में धारा 144 और फ्लैग मार्च सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है। ये उस बड़े कैनवास का हिस्सा है, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार अपनी शासन व्यवस्था की तस्वीर उकेर रही है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या इतनी सख्ती सचमुच जरूरी है, या ये सिर्फ एक दिखावा है? जवाब शायद आज के दिन के खत्म होने के बाद ही मिले। तब तक गाजियाबाद की गलियां, पुलिस की सायरन और लोगों की नजरें, सब मिलकर एक अनोखी कहानी बुन रही हैं जो न सिर्फ हटकर है, बल्कि सोचने पर मजबूर भी कर रही है।