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Ghaziabad News - परिश्रम श्र्लोका का : 499/500 की चमक, IAS बनकर देश को रोशन करने का सपना

गाजियाबाद की गलियों में श्र्लोका की कामयाबी की खबर फैली, लोग कहने लगे, "यह हमारी बेटी है!" अब, जबकि श्र्लोका यूपीएससी की तैयारी की राह पर कदम रख रही हैं, यह तय है कि उनका सफर न सिर्फ उनके माता-पिता का नाम रोशन करेगा

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Kapil Mehra
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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गाजियाबाद की गलियों से निकलकर एक ऐसी लड़की ने आसमान छू लिया, जिसके जुनून और मेहनत ने न सिर्फ उसे सीबीएसई 12वीं बोर्ड में 499/500 अंकों के साथ शीर्ष पर पहुंचाया, बल्कि लाखों स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा भी बन गई। हम बात कर रहे हैं श्र्लोका उपाध्याय की, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और अनुशासन से इतिहास को छोड़कर हर विषय में परफेक्शन हासिल किया और अब यूपीएससी की राह पर चलकर IAS बनने का सपना देख रही हैं। यह कहानी सिर्फ नंबरों की नहीं, बल्कि एक ऐसी लड़की की है, जिसने अपने सपनों को सच करने के लिए सोशल मीडिया और फोन को 'बाय-बाय' कह दिया।

499 का जादू, सिर्फ एक नंबर की कमी

श्र्लोका, जो डीपीएस राजनगर एक्सटेंशन और सीवी के स्कॉटिश इंटरनेशनल स्कूल की स्टूडेंट हैं, ने सीबीएसई 12वीं बोर्ड में 88.39% पास प्रतिशत के बीच 99.8% स्कोर कर सबको हैरान कर दिया। अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, भूगोल और भूस्थानिक प्रौद्योगिकी में 100-100 अंक, लेकिन इतिहास में एक नंबर की कमी ने उन्हें परफेक्ट 500 से चूकने दिया। फिर भी, श्र्लोका का कहना है, "मैं खुश हूँ, क्योंकि मेहनत का फल मिला।" YBN से बातचीत में उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को दिया, जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया।

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फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

फोन से दूरी, 8-9 घंटे की मेहनत

श्र्लोका की कहानी आज के डिजिटल दौर में एक मिसाल है। जब ज्यादातर स्टूडेंट्स सोशल मीडिया और फोन में उलझे रहते हैं, श्र्लोका ने बोर्ड एग्जाम की तैयारी के लिए फोन को सिर्फ पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया। मैंने सोशल मीडिया को पूरी तरह छोड़ दिया था। फोन तभी उठाया, जब कोई स्टडी मटेरियल सर्च करना हो," उन्होंने बताया। जनवरी से उनका शेड्यूल इतना टाइट था कि 8-9 घंटे की पढ़ाई उनकी दिनचर्या बन गई।श्र्लोका के पिता दुष्यंत उपाध्याय एक प्राइवेट नौकरी करते हैं, और माँ नेहा उपाध्याय गृहिणी हैं। दोनों ने बेटी के सपनों को पंख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। श्र्लोका कहती हैं, मम्मी-पापा ने हर पल मेरा हौसला बढ़ाया। जब मैं थक जाती थी, तो वे मुझे मोटिवेट करते थे।

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IAS बनकर देश की सेवा का सपना

श्र्लोका की नजर अब यूपीएससी पर है। उनका सपना है IAS बनकर देश की सेवा करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना। "मैं अभी से यूपीएससी का रोडमैप तैयार कर रही हूँ। मुझे पता है कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन मैं मेहनत से पीछे नहीं हटूँगी," उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा। श्र्लोका की यह सोच न सिर्फ उनकी परिपक्वता दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वह नेक्स्ट जेनरेशन देश को लेकर कितनी गंभीर है।

गाजियाबाद की शान, प्रेरणा की मिसाल

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श्र्लोका की उपलब्धि गाजियाबाद के लिए गर्व का पल है। उनके स्कूल, शिक्षक और दोस्त सभी उनकी इस कामयाबी पर झूम रहे हैं। लेकिन श्र्लोका की कहानी सिर्फ अंकों की नहीं है यह अनुशासन, त्याग, और बड़े सपनों की कहानी है। एक ऐसी लड़की, जिसने फोन को अलविदा कहा, सोशल मीडिया को नजरअंदाज किया, और अपने लक्ष्य को प्राथमिकता दी।

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