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गाजियाबाद की साहिबाबाद फल मंडी, जो अपनी हलचल और ताजे फलों की महक के लिए जानी जाती है, आजकल एक अलग ही वजह से सुर्खियों में है। पहले तुर्की के सेबों को "नो एंट्री" का बोर्ड दिखाने के बाद, अब गाजियाबाद के व्यापारियों ने तुर्की से आने वाले ड्राई फ्रूट्स और मार्बल को भी अपने बाजार से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ये बायकॉट कोई साधारण फैसला नहीं, बल्कि एक ऐसा कदम है, जो देशभक्ति, व्यापार और स्थानीय एकजुटता की मिसाल बन रहा है।
सेब से शुरू हुआ 'संग्राम'
बात तब शुरू हुई, जब हाल ही में तुर्की ने भारत के खिलाफ कुछ ऐसी हरकतें कीं, जो गाजियाबाद के व्यापारियों को नागवार गुजरीं। तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन और भारत के संवेदनशील इलाकों में तुर्की के ड्रोन की खबरों ने व्यापारियों का खून खौलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साहिबाबाद मंडी के फल व्यापारियों ने तुरंत फैसला लिया कि तुर्की के सेब, जिनका सालाना व्यापार 1200-1400 करोड़ रुपये का है, अब उनकी मंडी में नहीं बिकेंगे।
ड्राई फ्रूट और मार्बल पर 'लाल रेखा'
सेब का बायकॉट तो बस शुरुआत थी। गाजियाबाद के व्यापारियों ने अब तुर्की से आने वाले ड्राई फ्रूट्स (जैसे बादाम, पिस्ता, और अखरोट) और मार्बल पर भी प्रतिबंध लगा दिया। तुर्की से हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये के ड्राई फ्रूट्स और मार्बल का आयात होता है, जो गाजियाबाद की मंडियों और बाजारों में खपता है।
लेकिन अब व्यापारियों ने ठान लिया है कि तुर्की का कोई भी सामान उनकी दुकानों की शोभा नहीं बढ़ाएगा।एक स्थानीय व्यापारी, रमेश शर्मा, ने गुस्से में कहा, "तुर्की के ड्रोन हमारे देश की सीमाओं पर नजर रख रहे हैं, और हम उनके मेवे और मार्बल बेचें? ये तो देश के साथ गद्दारी होगी!" व्यापारियों का मानना है कि ये बायकॉट न सिर्फ तुर्की को आर्थिक चोट पहुंचाएगा, बल्कि स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा भी देगा।
क्यों है ये बायकॉट 'हटकर'?
देशभक्ति का जज्बा:
ये बायकॉट सिर्फ व्यापार का मामला नहीं, बल्कि देश के सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा है। व्यापारी अपने नुकसान की परवाह किए बिना राष्ट्रहित को प्राथमिकता दे रहे हैं।
स्वदेशी का समर्थन:
तुर्की के सेब, ड्राई फ्रूट्स, और मार्बल की जगह अब व्यापारी भारतीय उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। कश्मीर के सेब, हिमाचल के फल, और राजस्थान के मार्बल को अब ज्यादा तवज्जो दी जा रही है
एकजुटता की मिसाल:
गाजियाबाद के व्यापारी अकेले नहीं हैं। खबरों के मुताबिक, देश के अन्य हिस्सों में भी तुर्की के उत्पादों का विरोध शुरू हो चुका है। ये एकजुटता दिखाती है कि भारतीय व्यापारी जरूरत पड़ने पर एक साथ खड़े हो सकते हैं।
समाधान
बेशक, तुर्की के सामान का बायकॉट आसान नहीं है। तुर्की के सेब और ड्राई फ्रूट्स की कीमतें अन्य देशों की तुलना में कम होती हैं, जिससे ग्राहकों को लुभाना आसान था। लेकिन व्यापारियों ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की ठानी है। वे ग्राहकों को भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और फायदे समझा रहे हैं। एक व्यापारी ने हंसते हुए कहा, कश्मीर का सेब तुर्की के सेब से ज्यादा रसीला है, बस हमें अपने ग्राहकों को ये बताना है!
मार्बल के मामले में भी, राजस्थान और गुजरात के स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने की योजना बन रही है। व्यापारियों का कहना है कि ये बायकॉट न सिर्फ तुर्की को सबक सिखाएगा, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।
एक नई शुरुआत
गाजियाबाद की साहिबाबाद मंडी ने न सिर्फ तुर्की को आर्थिक जवाब दिया, बल्कि पूरे देश को एक नया संदेश भी दिया जब बात देश की हो, तो व्यापार भी देशभक्ति का रंग ओढ़ लेता है। ये बायकॉट सिर्फ सेब, ड्राई फ्रूट्स, या मार्बल का नहीं, बल्कि उन ताकतों का है, जो भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देती हैं।
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