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IPS TRANSFER- गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर अजय मिश्र: विवादों का तूफान या प्रशासनिक दबाव का शिकार?

अजय मिश्रा के कार्यकाल का सबसे बड़ा विवाद लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के साथ उनका टकराव रहा। यह विवाद 2025 में उस समय चरम पर पहुंचा, जब गुर्जर द्वारा आयोजित रामकथा के दौरान निकाली गई कलश यात्रा को पुलिस ने रोका।

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Kapil Mehra
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फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार
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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में कानून-व्यवस्था की कमान संभालने वाले पहले पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा अपने कार्यकाल के दौरान सुर्खियों में रहे, लेकिन ज्यादातर विवादों के कारण। 2003 बैच के इस तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति 29 नवंबर 2022 को गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट के पहले कमिश्नर के रूप में हुई थी। उनकी गिनती उन अधिकारियों में थी, जिनसे अपराध पर लगाम लगाने और शहर में पुलिसिंग को आधुनिक बनाने की बड़ी उम्मीदें थीं।

लेकिन उनके कार्यकाल में साप्ताहिक बाजार हटाने, ई-रिक्शा बंद करने, पत्रकारों पर मुकदमे, और लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के साथ तीखे टकराव जैसे कई विवादों ने उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया। क्या ये विवाद मिश्रा की सख्त नीतियों का नतीजा थे, या फिर स्थानीय राजनीति और सामाजिक दबावों का परिणाम? आइए, इस कहानी को गहराई से समझते हैं। 

साप्ताहिक बाजार हटाने का विवाद: जनता की नाराजगी

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गाजियाबाद में साप्ताहिक बाजार स्थानीय व्यापारियों और छोटे दुकानदारों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। लेकिन अजय मिश्रा के कार्यकाल में इन बाजारों को हटाने का आदेश चर्चा का विषय बन गया। प्रशासन का तर्क था कि ये बाजार सड़कों पर अवैध अतिक्रमण का कारण बनते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था बढ़ती है। इस फैसले के पीछे मिश्रा की मंशा शहर को व्यवस्थित और साफ-सुथरा बनाने की थी। लेकिन इस आदेश ने हजारों छोटे व्यापारियों और उनके परिवारों की रोजी-रोटी पर सीधा असर डाला।

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स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने इस फैसले का विरोध किया। प्रदर्शन और धरने आम हो गए, और मिश्रा को "जनविरोधी" करार दिया गया। सोशल मीडिया पर भी उनकी आलोचना हुई, जहां लोगों ने सवाल उठाया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के साप्ताहिक बाजार हटाने का फैसला कितना उचित था। इस विवाद ने मिश्रा की छवि को नुकसान पहुंचाया और प्रशासन के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा दिया।

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ई-रिक्शा बंद करने का आदेश: शहर की धड़कन पर प्रहार?

गाजियाबाद में ई-रिक्शा न केवल सस्ता और सुविधाजनक परिवहन साधन है, बल्कि हजारों लोगों की आजीविका का आधार भी है। मिश्रा के कार्यकाल में ई-रिक्शा पर पाबंदी लगाने का आदेश एक और विवादास्पद फैसला साबित हुआ। इस आदेश का उद्देश्य ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारना और अवैध रूप से चल रहे ई-रिक्शा पर लगाम लगाना था। प्रशासन ने तर्क दिया कि कई ई-रिक्शा बिना पंजीकरण के चल रहे थे, जो सड़क सुरक्षा के लिए खतरा थे।

लेकिन इस फैसले ने ई-रिक्शा चालकों और उनके परिवारों में आक्रोश पैदा कर दिया। विरोध प्रदर्शन हुए, और चालकों ने अपनी आजीविका छिनने की बात उठाई। कई लोगों ने इसे गरीब-विरोधी नीति करार दिया, क्योंकि ई-रिक्शा शहर की निम्न-आय वर्ग की जनता के लिए किफायती परिवहन का साधन था। इस विवाद ने मिश्रा को एक ऐसे अधिकारी के रूप में पेश किया, जिसके फैसले आम जनता की जरूरतों से कटे हुए थे। इस आदेश को मुख्य सचिव के आदेश के बाद रद्द कर दिया गया था।

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नंदकिशोर गुर्जर और रामकथा-शोभायात्रा विवाद: सियासत की आग में घी

पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा के कार्यकाल का सबसे बड़ा विवाद लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के साथ उनका टकराव रहा। यह विवाद 2025 में उस समय चरम पर पहुंचा, जब गुर्जर द्वारा आयोजित रामकथा के दौरान निकाली गई कलश यात्रा को पुलिस ने रोका। पुलिस का तर्क था कि इस आयोजन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी, और यह गैर-पारंपरिक जुलूस था। इस दौरान पुलिस और गुर्जर समर्थकों के बीच धक्का-मुक्की हुई, जिसमें गुर्जर के कपड़े फट गए। गुर्जर ने इसे अपनी और अपने समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया। 

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गुर्जर ने पुलिस प्रशासन, विशेष रूप से अजय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनके बेटे और समर्थकों के साथ मारपीट की, और महिलाओं के साथ अभद्रता की। गुर्जर ने फटे कुर्ते में धरना दिया, रामलला के दर्शन किए, और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की गुर्जर रैली में हिस्सा लिया, जिससे मामला और तूल पकड़ गया। गुर्जर ने पुलिस कमिश्नर पर पक्षपात, भ्रष्टाचार, और बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार होने जैसे आरोप लगाए।

इस विवाद ने गाजियाबाद की सियासत को गरमा दिया। बीजेपी के कई स्थानीय नेता और लोनी विधायक रिलायंस कमिश्नर अजय मिश्रा के खिलाफ लामबंद हो गए। गुर्जर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा और पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाए। इस घटना ने न केवल पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा की छवि को धक्का पहुंचाया, बल्कि बीजेपी के भीतर भी असंतोष को हवा दी। 

पत्रकारों से टकराव और मुकदमे: प्रेस की आजादी पर सवाल 

गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा का पत्रकारों के साथ टकराव भी उनके कार्यकाल का एक विवादास्पद पहलू रहा। कई पत्रकारों ने आरोप लगाया कि मिश्रा ने उनकी आलोचनात्मक खबरों के जवाब में उन पर मुकदमे दर्ज करवाए। कुछ मामलों में पत्रकारों ने दावा किया कि उनके खिलाफ गलत धाराओं में केस दर्ज किए गए, जिसे पत्रकारों ने प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया। लेकिन कुछ पत्रकारों ने इसे उनके अति संवेदनशील रवैये का उदाहरण बताया। इन घटनाओं ने कमिश्नर अजय मिश्रा और स्थानीय प्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। 

गंभीर आरोप और तबादला: नंदकिशोर गुर्जर की जीत?

नंदकिशोर गुर्जर ने पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा पर कई गंभीर आरोप लगाए थे जिनमें उनकी सुरक्षा में तैनात गनर हटाने, सपा के एजेंट के रूप में काम करने, और बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार होने जैसे दावे शामिल थे। गुर्जर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी शिकायत पहुंचाई, और उनके समुदाय में बढ़ते असंतोष को देखते हुए यह माना जा रहा है कि मिश्रा का तबादला इसी दबाव का नतीजा है।

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कल देर रात पुलिस कमिश्नर अजयमिश्रा का तबादला पुलिस महानिरीक्षक, प्रयागराज परिक्षेत्र के रूप में किया गया, और उनकी जगह जे० रविन्दर गौड़ (RR-2005) को गाजियाबाद के दूसरे व नए पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया गया है, कई लोग इसे गुर्जर की जीत के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि उनके लगातार विरोध और समुदाय के समर्थन ने सरकार पर दबाव बनाया था।

पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा के पक्ष में क्या? 

हालांकि पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा के कार्यकाल में विवादों की भरमार रही, उनके समर्थक तर्क देते हैं कि उनकी सख्त नीतियां शहर में अपराध नियंत्रण और व्यवस्था सुधारने के लिए जरूरी थीं। साइबर क्राइम के खिलाफ उनकी कार्रवाइयों ने कई बड़े गिरोहों का पर्दाफाश किया। इसके अलावा, कमिश्नर अजय मिश्रा ने पुलिस बल को आधुनिक बनाने और तकनीक का उपयोग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए।  

कुछ लोग मानते हैं कि पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा स्थानीय सियासत और सामाजिक दबावों का शिकार हुए। गाजियाबाद जैसे शहर में, जहां राजनीतिक और सामुदायिक प्रभाव बड़ा है, प्रशासनिक फैसले अक्सर विवादों को जन्म देते हैं। अजय मिश्रा की सख्ती ने जहां कुछ लोगों को नाराज किया, वहीं यह भी सच है कि उन्होंने कई मामलों में बिना दबाव के काम करने की कोशिश की।

निष्कर्ष: एक विवादास्पद अध्याय का अंत

गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा का गाजियाबाद में कार्यकाल एक रोलर कोस्टर की तरह रहा। साप्ताहिक बाजार, ई-रिक्शा, पत्रकारों, और नंदकिशोर गुर्जर के साथ उनके टकराव ने उनकी छवि को एक सख्त, लेकिन विवादास्पद अधिकारी के रूप में स्थापित किया। उनका तबादला न केवल एक प्रशासनिक कदम है, बल्कि गाजियाबाद की सियासत में एक नया मोड़ भी लाया है।  

गाजियाबाद के नए पुलिस कमिश्नर जे० रविन्दर गौड़ के सामने अब चुनौती है कि वे इन विवादों से सबक लेते हुए शहर की कानून-व्यवस्था को मजबूत करें और जनता का विश्वास जीतें। लेकिन पूर्वपलिस कमिश्नर अजय मिश्रा का यह विवादास्पद अध्याय गाजियाबाद की सियासत और प्रशासन में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। क्या यह सब अजय मिश्रा की नीतियों का परिणाम था, या स्थानीय नेताओं और समुदायों के दबाव का नतीजा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। 

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