गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद जिले में चल रहे प्राथमिक विद्यालयों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए आदेश दिया कि प्राथमिक विद्यालय एकल बिल्डिंग में ही संचालित होने चाहिए और उनका निर्माण नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का दखल
न्यायमूर्ति बी आर गवाई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीही की पीठ ने केंद्रीय शिक्षा माध्यमिक बोर्ड की याचिका के सुनवाई के दौरान आदेश दिया।
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अपने 2009 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश दिया था। इसके मुताबिक नर्सरी और प्राथमिक विद्यालयों को एक मंजिला इमारत वाले भवन में संचालित किया जाए। साथ ही भवन में भूतल समेत तीन से ज्यादा मंजिल नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने स्कूल की सीढ़ियों लेकर भी निर्देश जारी किए थे।
पड़ताल
वाईबीएन संवाददाता ने जब गाजियाबाद में संचालित निजी स्कूल की पड़ताल शुरू करी तो पाया कि बहुत से स्कूल आदेश के उलट चलाए जा रहे हैं।
नियम से चले स्कूल तो बेहतर हो
गाजियाबाद में वर्ष 1988 से संचालित एसबीएन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन की चेयरपर्सन डॉ० पुष्पा रावत से जब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लेकर बातचीत करी गई तो उन्होंने बताया कि , जिले में अभी भी बहुत से ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जो या तो नियमों के उलट बने हुए हैं या किसी भी इमारत में संचालित किया जा रहे हैं।
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डॉ० पुष्पा रावत ने बताया कि प्राथमिक कक्षा के बच्चे जो लगभग 3 से लेकर 5 वर्ष की आयु के होते हैं वह बहुत ही छोटे होते हैं पहले या दूसरी मंजिल की इमारतें बच्चों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं, छोटे बच्चे स्वभाव से चंचल होते हैं सीढ़ियों पर चढ़ना उतरना उनके लिए कभी-कभी जानलेवा भी हो जाता है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला उन अभिभावकों के लिए एक वरदान है जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बाद कभी-कभी चिंतित हो जाते हैं। डॉ० पुष्पा रावत ने बताया की गाजियाबाद में चल रहे प्राथमिक विद्यालय की मैनेजमेंट को सर्वप्रथम बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
क्या अधिकारी लेंगे संज्ञान ?
अब यह देखना है कि जहां सर्वोच्च न्यायालय लेने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त टिप्पणी कर आदेश जारी कर है वही प्रदेश व जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उन स्कूलों पर कार्रवाई करेंगे जो आदेशों के विरुद्ध चल रहे हैं।
शिक्षा बना व्यापार
आपको बता दे कि शहर में गली-गली कॉलोनी प्राथमिक विद्यालयों की भरमार्सी हो गई है। जहां बच्चों की प्राथमिक शिक्षा के लिए माता-पिता स्कूल का चुनाव अपने निवास स्थान के नजदीक करते हैं इसी का फायदा उठाकर शिक्षा माफिया जगह-जगह किसी भी तरह से स्कूलों का निर्माण कर उन्हें संचालित कर रहा है, जिसकी अभिभावक से मनमानी फीस वसूली जाती है।
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बीएसए सवालों के घेरे में
अब सवाल यह भी उठना है कि जब किसी भी प्राथमिक विद्यालय को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता दी जाती है तो क्या नियम सिर्फ कागजों में भर रह जाते हैं या शिक्षा विभाग द्वारा उन स्कूलों का निरीक्षण भी किया जाता है, बरहाल यह तो जांच का विषय है अब देखना है माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग गाजियाबाद शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश इस आदेश को कितनी गंभीरता से लेता है।
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