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नई दिल्ली। अगर आपको बार-बार चिप्स, कुकीज या कोल्ड ड्रिंक खाने-पीने का मन करता है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। एक नए शोध में पता चला है कि ये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की लत भी शराब और नशे की तरह हो सकती है। यह न सिर्फ सेहत के लिए खराब है बल्कि दिमाग पर भी बुरा असर डालती है।
शोध में क्या निकला?
नेचर मेडिसिन नाम की पत्रिका में छपे इस अध्ययन में 36 देशों की लगभग 300 रिसर्च देखी गईं। इसमें पाया गया कि प्रोसेस्ड फूड हमारे दिमाग के उस हिस्से को एक्टिव करते हैं, जो खुशी का अहसास कराता है। इसी वजह से लोग इन्हें बार-बार खाना चाहते हैं, चाहे यह उनकी सेहत को कितना भी नुकसान पहुंचाए।
शोध की मुख्य लेखिका एशले गियरहार्ट ने कहा, "किसी को सेब या दाल-चावल की लत नहीं लगती। दिक्कत उन चीजों से है जिन्हें इस तरह बनाया जाता है कि वे दिमाग पर नशे जैसा असर करें।"
दिमाग पर नशे जैसा असर
दिमाग की स्कैनिंग से भी यह साबित हुआ कि इन फूड्स को ज्यादा खाने वालों के दिमाग में वैसे ही बदलाव होते हैं जैसे शराब या कोकीन लेने वालों के दिमाग में होते हैं। यहां तक कि जिन दवाओं से इन फूड की तलब कम होती है, वही दवाएं नशे की लत वाले मरीजों को भी दी जाती हैं।
फूड की लत को गंभीरता से लेना होगा
गियरहार्ट ने बताया कि नाइट्रस ऑक्साइड और कैफीन की लत को मानसिक बीमारी माना जाता है, लेकिन प्रोसेस्ड फूड एडिक्शन को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया गया है। जबकि इसके कई वैज्ञानिक सबूत मौजूद हैं।
सह-लेखिका एरिका ला. फाटा ने कहा, "बाकी चीजों की लत को आसानी से मान लिया जाता है, तो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को क्यों नहीं? अब समय आ गया है कि इसे भी गंभीरता से लिया जाए।"
बच्चों पर ज्यादा खतरा
शोधकर्ताओं ने कहा कि डॉक्टरों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार को इस लत को पहचानना होगा। बच्चों के लिए खास तौर पर विज्ञापन बंद करने, पैकेट पर चेतावनी लिखने और लोगों को जागरूक करने जैसे कदम उठाने चाहिए। जैसे तंबाकू पर सख्त नियम होते हैं वैसे ही इन फूड पर भी होने चाहिए।
गियरहार्ट ने कहा, "हर खाना नशे जैसा नहीं होता, लेकिन कई प्रोसेस्ड फूड को इस तरह बनाया जाता है कि लोग उन पर निर्भर हो जाएं। अगर हमने इसे नजरअंदाज किया तो बच्चों की सेहत को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
यह शोध साफ बताता है कि चिप्स, कुकीज और कोल्ड ड्रिंक जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को गंभीरता से लेना जरूरी है। वरना इसका बुरा असर हमारी सेहत और आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।