वाईबीएन नेटवर्क।
Artificial Sweeteners को कई लोग शुगर के स्वस्थ विकल्प के रूप में मानते हैं, खासकर वजन घटाने या डायबिटीज़ के नियंत्रण के लिए। लेकिन हाल की रिसर्च ने इसके प्रभावों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या ये स्वीटनर सच में वजन घटाने में मदद कर रहे हैं या इसके उलट हमें नुकसान पहुँचा रहे हैं?
आर्टिफिशियल स्वीटनर का उभरता हुआ चलन
आर्टिफिशियल स्वीटनर, जिन्हें शुगर सब्स्टिट्यूट्स भी कहा जाता है, कैलोरी कम करने का एक लोकप्रिय तरीका बन चुके हैं, जबकि मीठा स्वाद बनाए रखने के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जाता है। ये स्वीटनर जैसे कि सुक्रालोज़, डाइट सोडा, बेक्ड आइटम्स, और च्यूइंग गम में पाए जाते हैं। डायबिटीज़ या वजन घटाने के इच्छुक लोगों के लिए ये एक अच्छा विकल्प लगते हैं। लेकिन हाल ही में किए गए शोध ने इनकी सेहत पर संभावित नकारात्मक प्रभावों को उजागर किया है।
मस्तिष्क और भूख पर असर
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने नेचर मेटाबोलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन में सुक्रालोज़ (जो एक लोकप्रिय आर्टिफिशियल स्वीटनर है) के मस्तिष्क और भूख नियंत्रण पर प्रभाव का विश्लेषण किया। यह शोध यह दिखाता है कि सुक्रालोज़ हमारे मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस को उत्तेजित करता है, जो भूख को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है।
भूख बढ़ाने वाला सुक्रालोज़
इस अध्ययन में 75 प्रतिभागियों को पानी, सुक्रालोज़-स्वीटनिंग ड्रिंक और शुगर-स्वीटनिंग ड्रिंक दिया गया। ब्रेन एक्टिविटी स्कैन से यह पता चला कि सुक्रालोज़ हाइपोथैलेमस को उत्तेजित करता है, जिससे खासकर मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों में भूख बढ़ जाती है। इस प्रभाव के कारण यह समझा जा सकता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने वाले लोग कम कैलोरी की जगह अधिक खा सकते हैं।
सुक्रालोज़ और भूख का असंतुलन
सुक्रालोज़, जो चीनी से लगभग 600 गुना मीठा होता है, शरीर को यह धोखा देता है कि उसे कैलोरी मिल रही है, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं होता। शुगर के विपरीत, जो इंसुलिन और जीएलपी-1 जैसे भूख नियंत्रक हार्मोन को सक्रिय करता है, सुक्रालोज़ इन संकेतों को सक्रिय नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप, मस्तिष्क को और अधिक भोजन की लालसा होती है, जिससे ओवरईटिंग की संभावना बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं की राय
इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. कैथलीन अलन्ना पेज ने बताया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर अपनी मिठास के कारण मस्तिष्क को कैलोरी की उम्मीद करने के लिए धोखा देते हैं। जब कैलोरी नहीं मिलती, तो मस्तिष्क भूख को बढ़ाकर और खाने की इच्छा को बढ़ाकर समायोजन करता है। इससे यह भी समझ में आता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने वाले लोग कैलोरी की मात्रा कम करने के बजाय ज्यादा खा सकते हैं।