वाईबीएन नेटवर्क।
राजीव शर्मा, 40 साल का एक कॉर्पोरेट कर्मचारी, जिसे कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई थी। रोज़ की ऑफिस भागदौड़, देर रात खाना और वीकेंड पर मस्ती उसकी दिनचर्या थी। कोई शारीरिक श्रम नहीं, सिर्फ AC ऑफिस और डेस्क का काम। लेकिन कुछ महीनों से उसे अक्सर थकान महसूस होने लगी थी। पेट भारी लगता, और खाने में मन नहीं लगता। एक दिन डॉक्टर की सलाह पर हेल्थ चेकअप कराया, और रिपोर्ट ने होश उड़ा दिए। उसे फैटी लिवर ग्रेड 2 डिटेक्ट हुआ था।
बीमारी जो खामोशी से अंदर खा जाती है
फैटी लिवर यानी जब लिवर की कोशिकाओं में वसा जमने लगे और वह धीरे-धीरे अपनी कार्यक्षमता खोने लगे। इस बीमारी की सबसे खतरनाक बात है कि यह बिना किसी खास लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती है। जब तक पता चलता है, तब तक लिवर काफी हद तक डैमेज हो चुका होता है।
हमारी आदतें ही सबसे बड़ा खतरा
डॉक्टर्स बताते हैं कि फैटी लिवर की सबसे बड़ी वजह है हमारी बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल। फास्ट फूड, ज़्यादा घी-तेल, मीठा, लगातार बैठकर काम करना और वॉक या एक्सरसाइज़ की आदत ना होना लिवर को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। शराब पीने वालों में यह बीमारी और भी तेजी से बढ़ती है, लेकिन अब Non-Alcoholic Fatty Liver भी बड़ी संख्या में सामने आ रहा है।
कब समझें कि खतरा बढ़ रहा है
अगर थकावट बनी रहती है, पेट भारी महसूस होता है, खाना पचने में परेशानी होती है या वजन तेज़ी से बढ़ रहा है, तो अलर्ट हो जाइए। ये सब संकेत हो सकते हैं कि लिवर पर दबाव बढ़ रहा है। शुरुआती स्टेज में फैटी लिवर को डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव से ठीक किया जा सकता है, लेकिन देर होने पर यह सिरोसिस या लिवर फेलियर में भी बदल सकता है।
कैसे पाएं दोबारा सेहत
ज़िंदगी में बदलाव लाकर आप इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। सुबह जल्दी उठना, खाली पेट नींबू पानी, रोज़ाना तेज़ वॉक, दिनभर में 10,000 स्टेप्स और जंक फूड को पूरी तरह अलविदा कहें। रात का खाना 8 बजे से पहले खत्म करना और हर हफ्ते एक दिन डिटॉक्स डाइट पर रहें।