भागदौड़ भरी ज़िंदगी में आज इंसान को सबसे ज़्यादा जिस चीज़ की कमी महसूस होती है, वो है ‘अच्छी नींद’। तनाव, मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल, बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतें – ये सब मिलकर नींद को सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं। नींद न आने की समस्या यानी इंसोम्निया अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, युवा भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में एलोपैथिक दवाओं के बजाय लोग अब सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट वाले विकल्प की तलाश कर रहे हैं – और यही रास्ता उन्हें होम्योपैथी तक ले जाता है।
नींद की दुश्मन बनी लाइफस्टाइल
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में लोग देर रात तक जागते हैं, कभी मोबाइल पर स्क्रॉलिंग करते हुए, तो कभी ऑफिस के काम निपटाते हुए। यह आदतें धीरे-धीरे शरीर की जैविक घड़ी को गड़बड़ा देती हैं। शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता और धीरे-धीरे नींद उड़ जाती है।
होम्योपैथी कैसे करता है काम?
होम्योपैथी में अनिद्रा का इलाज केवल लक्षणों पर नहीं, बल्कि व्यक्ति की पूरी मानसिक और शारीरिक स्थिति को समझकर किया जाता है। इसमें Coffea Cruda, Nux Vomica, Ignatia और Passiflora Incarnata जैसी दवाएं बेहद कारगर मानी जाती हैं। ये न सिर्फ तनाव को दूर करती हैं बल्कि दिमाग को शांति देकर गहरी नींद लाने में मदद करती हैं।
कोई साइड इफेक्ट नहीं, असर गहरा
सबसे अच्छी बात यह है कि होम्योपैथिक दवाएं नशे की लत नहीं लगातीं और न ही कोई साइड इफेक्ट छोड़ती हैं। जो लोग नींद की गोलियों के आदी हो चुके हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन और सुरक्षित विकल्प है। होम्योपैथिक इलाज शरीर की स्वाभाविक हीलिंग प्रक्रिया को सपोर्ट करता है, जिससे व्यक्ति बिना किसी कृत्रिम दबाव के नींद ले पाता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
होम्योपैथिक डॉक्टरों का कहना है कि अगर व्यक्ति नियमित रूप से तनावमुक्त जीवन जीने की कोशिश करे, सोने-जागने का तय समय बनाए और साथ में उचित दवा ले तो कुछ ही हफ्तों में नींद से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।