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frozenshoulder Photograph: (ians)
नई दिल्ली। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने से गर्दन और कंधों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे ‘फ्रोजन शोल्डर’ की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में कंधे की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं और हाथ उठाने या घुमाने में दर्द महसूस होता है। शुरुआत में हल्का दर्द होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इसके लक्षणों में कंधे की जकड़न, दर्द और गतिशीलता में कमी शामिल हैं। बचाव के लिए हर 30-40 मिनट में ब्रेक लें, कंधों और गर्दन के हल्के स्ट्रेच करें, सही मुद्रा में बैठें और व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
फ्रोजन शोल्डर
मालूम हो कि आज की जीवनशैली ऐसी है कि सारा काम या तो कंप्यूटर पर होता है या फोन के जरिए। इससे युवाओं में गर्दन और कंधे से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। कई बार एक्सरसाइज या मालिश से काम चल जाता है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है और करवट लेने और हाथों को हिलाने तक में परेशानी होती है। इस स्थिति को फ्रोजन शोल्डर कहते हैं।
अवबाहुक शूल के होने के कई कारण
आयुर्वेद में भी अवबाहुक शूल कहा गया है, आयुर्वेद में अवबाहुक शूल को वात दोष और कफ दोष से जोड़ा गया है। जब शरीर में वात दोष और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो मांसपेशियां और हड्डियों के जोड़ कमजोर होने लगते हैं और उनपर वसा का जमाव होने लगता है। इस स्थिति में जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, कंधे से लेकर गर्दन में खिंचाव और ज्यादा खराब स्थिति में गर्दन का न मोड़ पाना शामिल है। अवबाहुक शूल के होने के कई कारण हैं, जैसे ज्यादा तला-भूना खाना, कम पानी पीना, ज्यादा मेहनत या भार उठाने वाला काम करना, ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना, या ज्यादा समय तक पानी में रहना।
निजात पाने के कई तरीके
अवबाहुक शूल से निजात पाने के आयुर्वेद में कई तरीके बताए गए हैं। सबसे पहले रोजाना सुबह 10 मिनट और शाम को 10 मिनट तक मालिश करें। बात करते हैं तेल और मालिश के जरिए दर्द से राहत पाने की। तिल का तेल, दशमूल तेल या बालाश्वगंधा तेल से खिंचाव होने वाले हिस्से पर मालिश कर सकते हैं। इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ेगा और दर्द और जकड़न में राहत मिलेगी। इसके अलावा पट्टी स्वेदन कर सकते हैं। इसके लिए गर्म पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाप लगाकर तवे की सहायता से सेक सकते हैं।
घरेलू चीजोंका सेवन
कुछ औषधियों और घरेलू चीजों का सेवन कर भी राहत पाई जा सकती है, जैसे हल्दी वाला दूध, जो मांसपेशियों की जकड़न कम करेगा और दर्द से राहत मिलेगी। इसके अलावा गिलोय का रस भी फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट गिलोय का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और हड्डियां भी मजबूत होंगी।
जानकारी के अनुसार रात को सोते समय अश्वगंधा और योगराज गुग्गुल का चूर्ण भी ले सकते हैं। दोनों चूर्ण को अलग-अलग लिया जा सकता है, ये दर्द और सूजन में आराम देता है। इसके साथ ही गर्म पानी से नहाने से भी आराम मिलेगा।
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"