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बैली फैट अल्जाइमर का कारण हो सकता है।
पेट की चर्बी एक बढ़ती हुई समस्या है जो अब आम सी होती जा रही है। भारत में महिलाएं इससे सबसे अधिक ग्रस्त हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 40 फीसदी भारतीय महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष इससे पीडि़त हैं। ऐसा अनुामान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में इसकी संख्या में और भी वृद्धि हो सकती है।
हाल ही शोधकर्ताओं ने इसको लेकर शोध किया है जिसमें बताया गया है कि पेट की चर्बी सिर्फ दिखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि इससे अल्जाइमर का खतरा भी बढ़ जाता है। बढ़ती उम्र के साथ पेट की चर्बी बढ़ने लगती है, जो दिमाग में होने वाले परिवर्तनों से जुड़ी होती है जिससे संज्ञानात्मक गिरावट हो सकती है। नए शोध से पता चलता है कि पेट की यह चर्बी अल्जाइमर रोग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अल्जाइमर रोग होने से 20 साल पहले से पेट की चर्बी बढ़ने लगती है। बैली फैट आंत में चर्बी बढ़ने के कारण ये बाहर की तरफ उभर आती है।
पेट की चर्बी का दिमाग से कनेक्शन
आंत की चर्बी पेट की गहरी चर्बी होती है जो अंगों को घेरती है, यह त्वचा के नीचे पाई जाने वाली चर्बी से अलग होती है। शरीर के किसी भी भाग की चर्बी के बजाय आंत की चर्बी दिमाग के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालती है। अध्ययनों से पता चला है कि आंत की चर्बी के हाई लेवल के बीटा-अमाइलॉइड और टाऊ जैसे प्रोटीन का accumulation होता है, ये दोनों ही अल्जाइमर रोग की शुरुआत लक्षण से जुड़े हैं।
बीटा- अमीलॉयड और टाऊ टैंगल्स
बीटा-अमीलॉयड प्लेक अक्सर अल्ज़ाइमर के पहले लक्षण होते हैं, इसके बाद बीमारी बढ़ने पर टाउ टैंगल्स दिखाई देते हैं। ये प्रोटीन ब्रेन की सेल्स के खून के प्रवाह को बाधित करती हैं जिससे संज्ञानात्मक गिरावट होती है। अमाइलॉयड प्लेक और टाउ टैंगल्स दिमाग के स्ट्रक्चर से सीधा सम्बंध रखते हैं दिमाग में इसका आकार बढ़ने से मेमोरी सेल्स को नुकसान पहुंच सकता है। जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है।
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