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Bangladesh: प्रवासियों ने इटली की PM को लिखा पत्र, क्या कहा?

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद राजनीतिक अराजकता और हिंसा का माहौल है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों और राजनीतिक विपक्ष पर दमनात्मक कार्रवाई करने के आरोप लग रहे हैं।

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Ranjana Sharma
Karva Chauth11 (13)
रोम, वाईबीएन डेस्‍कबांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराए जाने के बाद से अराजकता की स्थिति बनी हुई है। बीते कुछ समय में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है। इस बीच बांग्लादेशी प्रवासियों ने इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी और उप प्रधानमंत्री एंटोनियो ताजानी को पत्र लिखा है।

अंतरिम सरकार द्वारा किए गए हमलों की निंदा की

बांग्लादेशी प्रवासियों ने लेटर में बांग्लादेश में "स्वतंत्र" और "लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्कृति" पर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा किए गए हमलों की निंदा की। इटली में बांग्लादेशी समुदाय के लोगों ने दो अलग-अलग चिट्ठियों में एक ही संदेश लिखा। लोगों ने महम्मद यूनुस सरकार को "अनिर्वाचित" और शासन करने के लिए लोकतांत्रिक जनादेश से रहित बताया। लोगों ने अंतरिम सरकार पर बार-बार चुनाव स्थगित करने और अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाकर बांग्लादेशी नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित करने का आरोप लगाया और जोर देकर कहा कि इस तरह की परिस्थिति में कोई भी चुनाव "स्वतंत्र, निष्पक्ष या पूरी तरह से सहभागी" नहीं हो सकता।

यूनुस के शासन में, राजनीतिक उत्पीड़न  है

लोगों ने लेटर में लिखा है, "यूनुस के शासन में, राजनीतिक उत्पीड़न व्याप्त है। अवामी लीग के निर्दोष सदस्य और समर्थक, न्यायपालिका द्वारा भेदभाव, हिंसक हमलों और निराधार, राजनीति से प्रेरित आरोपों का शिकार हुए हैं। अंतरिम प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से अवामी लीग के सैकड़ों सदस्यों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया और 200 से ज्यादा समर्थकों की हत्या की गई है। इसका मकसद साफ है: असहमति को दबाना और अवामी लीग को देश के राजनीतिक परिदृश्य से मिटा देना।

यूनुस सरकार में अपराध चरम पर 

लोगों ने यह आरोप भी लगाए हैं कि "यूनुस सरकार के दौरान हिंसक अपराध, लूटपाट, डकैती, बलात्कार और हत्या के मामले चरम पर हैं, जिनमें लिंचिंग के 600 से ज्यादा मामले और यातना के 2,500 से ज्यादा मामले शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं धार्मिक कारणों से प्रेरित थीं। कट्टरपंथी और कुछ मामलों में आतंकवादी समूहों के हाथों हिंदू, बौद्ध और ईसाई सहित धार्मिक अल्पसंख्यक हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं।
इनपुट-आईएएनएस
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