वाशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। अमेरिका की एक संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) को रद्द कर विदेशी छात्रों के नामांकन पर प्रतिबंध लगाया गया था। कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के जिला न्यायाधीश जेफरी व्हाइट ने अपने 21 पन्नों के विस्तृत फैसले में इस आदेश को "विघटनकारी और संभावित रूप से गैरकानूनी" करार दिया। इस निर्णय ने हार्वर्ड में पढ़ रहे लगभग 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों, जिनमें 788 भारतीय छात्र शामिल हैं, को बड़ी राहत प्रदान की है। : India-America relations | india america relationship
ट्रंप प्रशासन ने हिंसा को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था
ट्रंप प्रशासन ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) के माध्यम से हार्वर्ड पर यहूदी-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने, हिंसा को प्रोत्साहन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से कथित संबंधों जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। DHS सचिव क्रिस्टी नोएम ने दावा किया कि हार्वर्ड ने कैंपस में विरोध प्रदर्शनों और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने में विफलता दिखाई, जिसके चलते उसका SEVP प्रमाणन रद्द किया गया। प्रशासन ने यह भी मांग की थी कि हार्वर्ड 30 अप्रैल तक विदेशी छात्रों की गतिविधियों से संबंधित रिकॉर्ड सौंपे, जिसे यूनिवर्सिटी ने आंशिक रूप से पूरा किया, लेकिन प्रशासन इसे असंतोषजनक मानता रहा।
हार्वर्ड ने फैसले को दी थी अदालत में चुनौती
हार्वर्ड ने इस फैसले को असंवैधानिक और अपनी शैक्षणिक स्वायत्तता पर हमला बताते हुए इसके खिलाफ बोस्टन की संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया। यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन एम. गार्बर ने कहा कि यह कार्रवाई न केवल हार्वर्ड, बल्कि पूरे अमेरिकी उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए खतरा है। हार्वर्ड ने तर्क दिया कि विदेशी छात्र उसके शैक्षणिक मिशन का अभिन्न हिस्सा हैं और यह प्रतिबंध 140 से अधिक देशों से आने वाले 9,970 छात्रों को प्रभावित करता है।
ट्रंप का आदेश, कहर बरपाने वाला
न्यायाधीश व्हाइट ने अपने फैसले में प्रशासन की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कानूनी स्थिति पर "कहर बरपाने" वाला बताया। हालांकि, कोर्ट ने हार्वर्ड के पक्ष में अंतिम फैसला नहीं सुनाया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश प्रशासन की स्थिति को कमजोर करता है। इस रोक से हार्वर्ड और अन्य विश्वविद्यालयों को अस्थायी राहत मिली है, लेकिन मामला अभी भी कानूनी प्रक्रिया में है।