नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 1 नवंबर 2025 से चीन से आने वाले सभी आयातित उत्पादों पर 100 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यानी जो टैक्स पहले से लागू है, अब उसके ऊपर 100% और शुल्क देना होगा। साथ ही अमेरिका इसी तारीख से 'क्रिटिकल सॉफ्टवेयर' पर एक्सपोर्ट कंट्रोल भी लागू करेगा।
क्यों भड़के ट्रंप?
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब चीन ने 1 दिसंबर से रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर सख्त नियंत्रण का ऐलान किया है। चीन इन खनिजों का दुनिया में लगभग 90% उत्पादन और निर्यात करता है, जिनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, सैन्य उपकरणों और ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में होता है। चीन का दावा है कि यह कदम पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत उठाया गया है। लेकिन उसने यह भी कहा है कि भारत को तभी रेयर अर्थ मिनरल्स मिलेंगे, जब वह अमेरिका को इनकी सप्लाई न करने की गारंटी देगा। यही शर्त ट्रंप को नागवार गुजरी और उन्होंने चीन पर कड़ा जवाबी हमला किया।
ट्रंप का कड़ा बयान
ट्रंप ने चीन के फैसले को अपमान बताया और कहा कि यह वर्ल्ड ट्रेड पर चीन के वर्चस्व की लॉन्ग-टर्म रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने दो टूक कहा कि अमेरिका अब अकेले ही एक्शन लेगा, चाहे दूसरे देश साथ दें या नहीं। उनके अनुसार चीन के कदम से वैश्विक टेक और ऑटो इंडस्ट्रीज पर बुरा असर पड़ेगा, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में बड़ी समस्या पैदा हो सकती है।
चीन ने और क्या-क्या प्रतिबंध लगाए?
चीन ने अब तक 12 रेयर अर्थ मिनरल्स (जैसे होल्मियम, एर्बियम, यटरबियम) के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, चीन ने सेमीकंडक्टर, लिथियम बैटरियों, ग्रेफाइट एनोड और रक्षा-उद्योग से जुड़ी तकनीकों के निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी है। बीजिंग का कहना है कि यह सारे कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाए गए हैं। अमेरिका और चीन के बीच यह तनाव ऐसे समय में बढ़ रहा है जब इसी महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में APEC शिखर सम्मेलन होना है, जिसमें ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों के शामिल होने की संभावना है। हालांकि ट्रंप ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि अब उन्हें शी जिनपिंग से मिलने की कोई जरूरत नहीं लगती।