अमेरिका द्वारा कई देशों पर लगाए गए टैरिफ के संभावित असर को देखते हुए भारत सरकार ने व्यापक रणनीति तैयार की है। एक ओर चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से बढ़ते आयात पर नियंत्रण के लिए अंतर-मंत्रालयी निगरानी समूह का गठन किया गया है, वहीं दूसरी ओर घरेलू निर्यातकों को नए बाजार उपलब्ध कराने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। वाणिज्य मंत्रालय 20 देशों के साथ बातचीत कर रहा है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत तेज कर दी गई है।
चीन-वियतनाम जैसे देशों से बढ़ सकता है आयात
अमेरिकी
टैरिफ के कारण यदि इन देशों का अमेरिकी बाजार में प्रवेश कम होता है, तो वे भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों का रुख कर सकते हैं। इससे उपभोक्ता वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और स्टील जैसे क्षेत्रों में आयात बढ़ सकता है। इसे रोकने और निगरानी के लिए जो अंतर-मंत्रालयी समूह बनाया गया है, उसमें वाणिज्य, राजस्व और डीपीआईआईटी के अधिकारी शामिल हैं।
निर्यातकों के लिए नए बाज़ार की तलाश
सरकार यह मानती है कि अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ में भारत की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है, फिर भी
रेसिप्रोकल टैरिफ से कुछ क्षेत्रों में भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है। इसीलिए, निर्यातकों को मदद देने के उद्देश्य से वाणिज्य मंत्रालय यूरोपीय संघ, ओमान, न्यूजीलैंड और यूके जैसे देशों के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों पर काम कर रहा है।
20 देशों पर टिकी हैं उम्मीदें
भारत ने जिन 20 देशों को निर्यात के संभावित नए गंतव्य के रूप में चिन्हित किया है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूएई, यूके, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं। इन देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जून-जुलाई में दिख सकता है असर
अमेरिका ने वियतनाम पर 46 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत और थाईलैंड पर 36 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके कारण इन देशों से भारत में आयात बढ़ने का सीधा असर जून-जुलाई में दिख सकता है। सरकार ने हवाई और समुद्री मार्गों से आने वाले शिपमेंट पर नजर रखने का निर्देश दिया है, साथ ही घरेलू उद्योगों से भी इस संबंध में इनपुट मांगा है।
निर्यात संवर्धन मिशन को गति
सरकार ने निर्यात बढ़ाने के लिए 2,250 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ शुरू किया है। इसके तहत निर्यातकों को सस्ते ऋण और अन्य वित्तीय सहायता देने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। वाणिज्य, वित्त और एमएसएमई मंत्रालय मिलकर इन योजनाओं को लागू कर रहे हैं।
अमेरिका के साथ समाधान की कोशिशें
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय
व्यापार समझौते पर बातचीत तेज कर दी गई है। उम्मीद है कि सितंबर-अक्टूबर तक इसका पहला चरण अंतिम रूप ले लेगा। इस समझौते के बाद अमेरिका, भारत पर लगाए गए शुल्कों की समीक्षा कर सकता है। गौरतलब है कि भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रति और आयात में 6.22 प्रतिशत है।