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सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश के राष्ट्रपति ने यूएन में कहा- ओम शांति ओम, नमो बुद्धाय

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में संस्कृत और अन्य प्राचीन भाषाओं के मंत्रों से भाषण की शुरुआत और समाप्ति की, जिससे उनके भारतीय संस्कृति के प्रति गहरे लगाव का पता चलता है।

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Ranjana Sharma
Manali (85)

नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क:संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने भाषण की शुरुआत और समापन संस्कृत के पारंपरिक अभिवादनों से करके विश्व को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राजनीतिक संदेश दिया। राष्ट्रपति प्राबोओ सुबिअंतो ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के अंत में 'ओम शांति' का जि‍क्र किया। इसके बाद से भारत में उनकी चर्चा हो रही है।

 राष्ट्रपति प्रबोओ सुबिआंतो ने कहा मेरा डीएनए भारतीय है

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोओ सुबिआंतो ने भाषण के अंत में उन्होंने "ओम बुद्धाय" कहा जो बौद्ध धर्म से जुड़ा एक सम्मानजनक अभिवादन है। इसके अलावा उन्होंने अपने संबोधन में अरबी और हिब्रू भाषाओं के भी कुछ शब्द शामिल किए जिससे उनकी बहुसांस्कृतिक सोच और विश्व शांति के लिए समर्पण झलकता है। यह पहला मौका नहीं है जब प्रबोओ ने भारतीय संस्कृति या भाषा का उल्लेख किया हो। इस साल जनवरी में भारत के दौरे के दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि उनका डीएनए भारतीय है। उन्होंने भारतीय नेताओं  राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति  को यह जानकारी देते हुए कहा था कि उन्होंने जेनेटिक सिक्वेंसिंग और डीएनए टेस्ट कराया है, जिसमें पता चला कि उनका भारतीय जीन मौजूद है। प्रबोओ ने मजाकिया अंदाज में कहा था कि शायद इसी वजह से जब भी वे भारतीय संगीत सुनते हैं, तो थिरकने लगते हैं।

ट्रंप ने प्रबोओ की अंग्रेजी बोलने की तारीफ की थी

इसके अलावा प्रबोओ का एक वीडियो भी भारत में काफी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत करते हुए नजर आए। इस बातचीत में ट्रंप ने प्रबोओ की अंग्रेजी बोलने की तारीफ की थी जो उनकी सहजता और बहुभाषी कौशल को दिखाता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया और उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। प्रबोओ सुबिआंतो की यह बहुआयामी छवि न केवल एक प्रभावशाली नेता की है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की भी है जो विश्व की विविध संस्कृतियों और भाषाओं को गले लगाते हुए, एकता और शांति का संदेश फैलाना चाहता है। उनके भाषण और बयान यह स्पष्ट करते हैं कि वे भारतीय संस्कृति को सिर्फ एक बाहरी परिचय के तौर पर नहीं देखते, बल्कि इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
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