नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। ईरान-इजरायल युद्ध ने अमेरिका के सीधे सैन्य हस्तक्षेप के बाद बेहद गंभीर और निर्णायक मोड़ ले लिया है।अब देखना होगा कि रूस इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। बता दें कि रूस ने इस युद्ध में अमेरिका को सैन्य हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी थी और ऐसा करने पर गंभीर परिणाम की बात भी कही थी। अब अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों, फोर्दो, नतांज और इस्फहान, पर हवाई हमला कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमलों की पुष्टि करते हुए इसे "एक सफल मिशन" बताया और शांति की अपील की है।
फोर्दो पर सबसे बड़ा हमला, ट्रंप का बयान LIVE
US military intervention in the Israel-Iran war:अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा-
हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर सटीक और सफल हमला किया है। फोर्दो पर पूरा बम पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित लौट चुके हैं। अब समय है शांति का।” बता दें कि
फोर्दो को ईरान का सबसे सुरक्षित और भूमिगत परमाणु संयंत्र माना जाता है। अमेरिकी हमले से इसका एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है।
B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हुआ अटैक
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में अमेरिका के अत्याधुनिक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का उपयोग किया गया, जो मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) जैसे बंकर बस्टर बम ले जाने में सक्षम हैं। व्हाइटमैन एयरबेस (मिसौरी) से उड़ान भरने वाले इन विमानों को प्रशांत महासागर और फिर मध्य एशिया की ओर उड़ते हुए देखा गया था।
इस्फहान और नतांज भी बने निशाना
ईरान ने आधिकारिक तौर पर हमलों की पुष्टि कर दी है।ईरानी अधिकारियों के अनुसार, इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों के आसपास भी विस्फोट और क्षति की खबरें सामने आई हैं।
ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि "दुश्मन की हवाई कार्रवाई से कुछ तकनीकी संरचनाएं प्रभावित हुई हैं।"
इजरायल को पहले से थी जानकारी
एक इजरायली अधिकारी ने खुलासा किया कि अमेरिका ने हमले से पहले इजरायल को सूचित कर दिया था। अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने सहयोगी देशों को एडवांस में जानकारी दी थी और हमले में B-2 बॉम्बर्स के इस्तेमाल की पुष्टि की गई है।
अब क्या होगा?
अमेरिका की खुली सैन्य कार्रवाई ने ईरान-इजरायल युद्ध को वैश्विक स्तर पर और भी अधिक संवेदनशील बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सिर्फ एक शुरुआत हो सकता है, अगर कूटनीतिक प्रयास विफल हुए, तो पूरा मध्य पूर्व एक नए युद्ध की चपेट में आ सकता है।
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