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Photograph: (IANS)
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Impact of Trump tariffs: ट्रंप प्रशासन के टैरिफ युद्ध के बीच मैक्सिको ने अमेरिका से दूध पाउडर आयात में कटौती करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की घोषणा की है। यह फैसला खाद्य संप्रभुता को मजबूत करने और देशी किसानों को संरक्षण देने की रणनीति के तहत लिया गया है। मैक्सिको की इस नई नीति से भारत जैसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश के लिए निर्यात का सुनहरा अवसर पैदा हो सकता है।
मैक्सिको का डेयरी प्लान: आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
2025 से 2030 के बीच मैक्सिको का लक्ष्य दूध उत्पादन को 13.3 अरब लीटर से बढ़ाकर 15 अरब लीटर सालाना करना है। इसके लिए 4.1 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इससे दूध पाउडर आयात में 30% की कमी लाने की योजना है। 97% मैक्सिकन डेयरी किसान छोटे स्तर के हैं, जिन्हें सब्सिडी, तकनीकी सहायता और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए सहयोग दिया जाएगा। SADER (कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय) के अनुसार 1990 के दशक में निजीकरण किए गए संयंत्रों को फिर से खोलकर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
वैश्विक टकराव और भारत के लिए संभावनाएं
अमेरिका अभी मैक्सिको का सबसे बड़ा डेयरी उत्पाद आपूर्तिकर्ता है, लेकिन टैरिफ विवाद के बाद उसने मैक्सिको और EU से आयात पर 30% शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। इस फैसले ने उत्तर अमेरिकी डेयरी व्यापार की दिशा बदल दी है। अब भारत जैसे देशों के लिए बड़ा अवसर है क्योंकि वह दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है।
भारत के पास क्या अवसर?
भारत सालाना 240 अरब लीटर दूध का उत्पादन करता है, जो दुनिया के कुल उत्पादन का एक चौथाई है।डेयरी विशेषज्ञ विपिन कक्कड़ के अनुसार, भारत हर साल लगभग 6 लाख टन स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) बनाता है, जिसमें से एक लाख टन अधिशेष स्टॉक होता है। 2024 में भारत ने 55,000 टन मक्खन और दूध वसा का सफल निर्यात किया, जिससे न केवल देश की विदेशी मुद्रा बढ़ी, बल्कि प्रसंस्करण इकाइयों का स्टॉक भी कम हुआ। कक्कड़ का कहना है- भारत SMP और मक्खन का सफलतापूर्वक निर्यात कर सकता है। वैश्विक कीमतों पर हम प्रतिस्पर्धा में हैं।
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