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नई दिल्ली, आईएएनएस: नेपाल के पीएम केपी ओली चीन दौरे पर हैं। इस दौरान रविवार को उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। उन्होंने लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली चीन में हो रहे दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट में संवाद साझेदार के रूप में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने नेपाल और चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
केपी ओली ने शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की
ओली के सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' से शी जिनपिंग से मुलाकात की तस्वीर पोस्ट की गई और लिखा, "प्रधानमंत्री केपी ओली ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की और विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ओली ने लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।
हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत हुआ
इससे पहले, वे अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ तियानजिन एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया था, जिसका एक्स पर पोस्ट करके उन्होंने आभार जताया था। उन्होंने लिखा था, "नमस्ते तियानजिन! मेरे प्रतिनिधिमंडल के आगमन पर मिले गर्मजोशी भरे स्वागत से मैं बहुत प्रभावित हूं। तियानजिन बिन्हाई हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत के लिए मैं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सीमा शुल्क प्रशासन मंत्री एवं सचिव सुन मीजुन और तियानजिन पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष यू युनलिन का आभारी हूं।
एससीओ स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन
बता दें कि एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। इसके सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। एससीओ के दो पर्यवेक्षक अफगानिस्तान और मंगोलिया हैं, जबकि इसके 14 संवाद साझेदार देश हैं, जिनमें तुर्की, कुवैत, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल शामिल हैं। श्रीलंका, सऊदी अरब, मिस्र, कतर, बहरीन, मालदीव, म्यांमार और संयुक्त अरब अमीरात भी एससीओ के संवाद साझेदार हैं।