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Afghanistan से जंग बंद करो, नहीं तो इंडिया फायदा उठाएगा : पाक मीडिया

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बीते दो दिनों में सीमा पर जबरदस्त संघर्ष हुआ, जिसमें फायरिंग और एयरस्ट्राइक तक हुई। पाकिस्तान ने काबुल को भी निशाना बनाया, जिसके जवाब में तालिबान ने दावा किया कि उसके हमले में पाकिस्तान के 58 सैनिक मारे गए।

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Ranjana Sharma
Karva Chauth11 (20)

नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क :पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया सीमा संघर्ष ने पूरे क्षेत्र में तनाव की लकीर खींच दी है। गोलीबारी से लेकर हवाई हमलों तक, दोनों देशों के बीच टकराव इतना बढ़ गया कि तालिबान ने पाकिस्तान को 58 सैनिकों की मौत का दावा करते हुए खुली चेतावनी दे डाली। यही नहीं तालिबान ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि पाकिस्तान ऐसे ही जंग जारी रखेगा तो उसे करारा जवाब ही मिलेगा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने तो भारत से ही संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान की ओर से हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अब हालात को काबू में लाने के लिए कतर और सऊदी अरब को मध्यस्थता करनी पड़ रही है।

 लड़ाई तुरंत रोकी जानी चाहिए 

अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने मामले पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वे पाकिस्तान की ओर से हो रहे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुत्ताकी ने मामलों को कूटनीतिक स्तर पर उठाने का संकेत दिया है और क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया है। वहीं पाकिस्तानी मीडिया और कुछ नीति­नियंत्रकों ने भी सरकार व सेना से शांति का आग्रह किया है। पाक के अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा कि अफगानिस्तान के साथ लड़ाई तुरंत रोकी जानी चाहिए और संघर्ष लंबा खिंचने पर उसका सीधा लाभ तीसरे पक्ष  विशेषकर भारत को मिल सकता है। अखबार ने यह भी लिखा कि हाल के समय में तालिबान और भारत के बीच रिश्तों में सुधार देखा गया है और अफगान विदेश मंत्री के भारत दौरे का भी संदर्भ दिया गया।

दोनों देशों की ओर से स्थिति तनावग्रस्त 

एक और अहम पहलू यह है कि कतर और सऊदी अरब ने मध्यस्थता कर युद्धविराम की कोशिशें शुरू कर दी हैं पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक ईरान ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। इन दखलों के बाद कुछ हद तक गोलीबारी थमी दिख रही है, पर स्थिति तनावग्रस्त बनी हुई है और दोनों ओर से सतर्कता जारी है। पाकिस्तानी मीडिया ने अफगानिस्तान पर यह भी आरोप लगाया है कि तालिबान के अलावा तहरीक‑ए‑तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), अल-कायदा और अन्य समूहों को शरण दी जा रही है। वहीं विशेषज्ञ और आलोचक पाकिस्तान पर भी उन आतंकवादी समूहों को समर्थन और शरण देने के आरोप लगाते रहे हैं, जिनके खिलाफ भारत सहित कई देशों ने चिंता जताई है। दोनों तरफ से लगने वाले इन आरोपों से क्षेत्रीय सुरक्षा की जटिलता और बढ़ गई है।

दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी

कुल मिलाकर सीमा पर संघर्ष ने दक्षिण एशिया में शांति‑स्थिरता की चुनौतियों को फिर उजागर कर दिया है विशेषकर तब जब क्षेत्रीय कूटनीति और मध्यस्थों की भूमिका घटनाओं को कमजोर करने या विधिसम्मत समाधान खोजने में निर्णायक हो सकती है। फिलहाल कतर‑सऊदी मध्यस्थता के चलते संघर्ष में कमी आई है, पर दोनों पक्षों के बीच भरोसे की कमी और आरोप‑प्रत्यारोप बने हुए हैं, इसलिए वास्तविक शांति के लिए और व्यापक राजनीतिक आचरण और वार्ता की आवश्यकता है।
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 Afghanistan-Pakistan conflict | Afghanistan Pakistan Relations 
 
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