नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। ईरान जब सोमवार को अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना
बना रहा था, उसी समय
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध
को लेकर सीजफायर की पटकथा लिखी जा रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ नेगोशिएट करने की जिम्मेदारी कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी को सौंपी थी। दरअसल अमेरिका को सीजफायर के लिए ईरान के एक भरोसेमंद की तलाश थी, जो कतर के प्रधानमंत्री पर जाकर पूरी हो गई और वे ईरान के साथ नेगाशिएट करने में कामयाब भी हो गए।
कतर के प्रधानमंत्री ने हासिल की तेहरान की सहमति
रायटर्स के मुताबिक, इस शांति समझौते में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने मध्यस्थता की अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ईरानी अधिकारियों से बातचीत कर अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम के लिए तेहरान की सहमति हासिल कर ली। इससे पहले ट्रंप ने कतर के अमीर से संपर्क कर उन्हें बताया था कि इजरायल इस प्रस्ताव को मान चुका है। ट्रंप ने तेहरान को मनाने की जिम्मेदारी उन पर छोड़ी। हालांकि सीजफायर की घोषणा के कुछ समय बाद ही ईरान ने इजरायल पर एक और मिसाइल हमला कर दिया। टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, बीरशेवा शहर में एक रिहायशी इमारत पर हमला हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए।
जानिए कैसे शुरू हुआ था संघर्ष?
इस पूरे संघर्ष की शुरुआत 13 जून को हुई, जब इजरायल ने "ऑपरेशन राइजिंग लायन" के तहत ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों पर भारी हवाई हमले किए। जवाब में ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3' शुरू किया और इजराइल के लड़ाकू विमानों के ईंधन संयंत्रों और ऊर्जा आपूर्ति केंद्रों को निशाना बनाया। तनाव तब और बढ़ गया जब अमेरिका ने रविवार तड़के "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों, जिनमें कतर स्थित अल उदैद एयरबेस भी शामिल है, पर मिसाइलें दागीं।
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