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शिव मंदिर को लेकर हुआ इन दो देशों में खूनी संघर्ष, F-16 से बमबारी, UN से हस्तक्षेप की मांग

थाइलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद ने फिर से हिंसक रूप ले लिया है। F-16 हमलों, रॉकेट बमबारी और राजनयिक तनाव के बीच एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए। जानिए पूरा मामला और शिव मंदिर विवाद की पृष्ठभूमि।

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Dhiraj Dhillon
Thailand–Cambodia Conflict

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Thailand–Cambodia Conflict: भारत से लगभग 5000 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व एशिया के दो बौद्ध धर्म बहुल पड़ोसी देश- थाईलैंड और कंबोडिया, बीते कुछ दिनों से सीमा विवाद को लेकर तनाव में थे, लेकिन गुरुवार को यह विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया। थाईलैंड ने कंबोडिया के सीमावर्ती क्षेत्रों पर F-16 फाइटर जेट्स से हमला किया, जिसमें एक दर्जन से अधिक थाई नागरिकों की मौत हो गई।

लैंडमाइन्स विस्फोट बना चिंगारी

इससे एक दिन पहले, बुधवार को थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर लैंडमाइन्स विस्फोट में थाईलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों के राजनयिक संबंध तेजी से बिगड़ गए। थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुलाया और वहां के राजदूत को देश से निकाल दिया। गुरुवार सुबह थाईलैंड ने जवाबी कार्रवाई में F-16 लड़ाकू विमानों से सीमाई इलाकों पर बमबारी कर दी।

रॉकेट लॉन्चर से हमला, आम नागरिक निशाने पर

'बैंकॉक पोस्ट' के अनुसार, कंबोडिया की सेना ने रॉकेट लॉन्चर से हमला कर आम नागरिकों को निशाना बनाया। जवाबी कार्रवाई में थाईलैंड ने सीमांत क्षेत्रों में बमबारी की। कंबोडिया के हताहतों की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है।

UN में अपील, शांति पर खतरा

कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने थाईलैंड पर "बिना उकसावे के पूर्वनियोजित हमले" का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

क्या है शिव मंदिर विवाद?

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दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की जड़ प्रीह विहार मंदिर है, जिसे हिन्दू भगवान शिव को समर्पित एक ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। यह मंदिर UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। 1907 में फ्रांस द्वारा निर्धारित सीमा में यह मंदिर कंबोडिया का हिस्सा माना गया था, लेकिन थाईलैंड ने इस दावे को कभी स्वीकार नहीं किया।
1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ने मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया। फिर भी, मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा। 2008 में जब UNESCO ने इसे विरासत घोषित किया, तब तनाव और बढ़ गया।

2013 में भी कोर्ट का फैसला, फिर भी विवाद बरकरार

2011 में हुई झड़पों में 18 लोग मारे गए थे। इसके बाद कंबोडिया ने फिर इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2013 में कोर्ट ने विवादित जमीन को भी कंबोडिया का हिस्सा बताया। लेकिन तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। अब बुधवार को हुए लैंडमाइन्स विस्फोट ने दोनों देशों को फिर से संघर्ष के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया।इस बीच चीन और मलेशिया ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक हल निकालने की अपील की है।
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