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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को अलास्का में महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। हालांकि इस बैठक में चल रहे संघर्ष को रोकने पर कोई ठोस सहमति नहीं बनी, लेकिन दोनों नेताओं के बीच बातचीत को 'सार्थक' बताया गया है।
रूसी तेल खरीदने वालों पर टैरिफ का दबाव
बैठक के बाद ट्रंप ने संकेत दिया कि वे अभी उन देशों पर नए टैरिफ लगाने की योजना नहीं बना रहे हैं जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि दो से तीन सप्ताह में इस मुद्दे पर फिर से विचार किया जा सकता है। फॉस्क न्यूज से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि जो आज हुआ, उसके आधार पर मुझे नहीं लगता कि फिलहाल टैरिफ बढ़ाने पर विचार जरूरी है। लेकिन कुछ हफ्तों में ये स्थिति बदल सकती है।
भारत पर टैरिफ से रूस पर बना दबाव
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत पर भारी आयात शुल्क लगाने के उनके फैसले ने रूस को बैठक की मेज पर आने के लिए मजबूर किया। ट्रंप ने कहा कि जब मैंने भारत को चेताया कि हम उस पर टैरिफ लगाएंगे क्योंकि वह रूस से तेल खरीद रहा है, तो इससे रूस पर दबाव बना। तभी रूस ने फोन कर बैठक की इच्छा जताई। उन्होंने आगे कहा कि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है और चीन के बाद सबसे अधिक तेल खरीदता है। रूस को डर था कि वह भारत को खो देगा इसलिए वह दोबारा बातचीत के लिए तैयार हुआ।
भारत का जवाब नीति में कोई बदलाव नहीं
हालांकि भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए रूसी तेल आयात पर कोई रोक लगाने से इनकार किया है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष ए.एस. साहनी ने कहा कि हम आर्थिक आधार पर तेल खरीदते हैं और रूस से आयात जारी रहेगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।भारत के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप के टैरिफ को "अनुचित" बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भारत पर 25% आयात शुल्क लगाया था और अब इसमें अतिरिक्त 25% वृद्धि की घोषणा कर दी है जो 27 अगस्त से लागू होगी। इसके बाद भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच जाएगा।
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