नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। रविवार तड़के अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले में ईरान के सबसे संवेदनशील फोर्डो परमाणु केंद्र को गंभीर नुकसान पहुंचा है। नवीनतम सैटेलाइट तस्वीरों से हमले की भयावहता की पुष्टि हुई है। फोर्डो केंद्र ईरान के पर्वतीय क्षेत्र में गहराई से भूमिगत बना था, जिसे अमेरिका के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने छह बंकर बस्टर बमों से निशाना बनाया।
30000 पाउंड के बमों से हुआ हमला
इन बमों का वजन करीब 30,000 पाउंड था, जो खासतौर पर भूमिगत ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाए जाते हैं। सैटेलाइट इमेज से यह साफ हो गया है कि फोर्डो के प्रवेश द्वार पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं और आसपास की पहाड़ी संरचना भी क्षतिग्रस्त हुई है। इससे ईरान के लिए स्थल तक पहुंचना और आंतरिक स्थिति का आकलन करना बेहद कठिन हो गया है।
फोर्डो क्यों था रणनीतिक रूप से अहम?
फोर्डो परमाणु केंद्र को एक पहाड़ के नीचे 80-90 मीटर की गहराई में बनाया गया था। यह ईरान के सबसे संरक्षित परमाणु स्थलों में से एक था। यहां लगभग 2,700 सेंट्रीफ्यूज लगाए गए थे, जो 60% तक यूरेनियम संवर्धन करने में सक्षम थे। विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर के संवर्धन से ईरान महज तीन हफ्तों में नौ परमाणु हथियार बना सकता था। यही कारण था कि यह केंद्र अमेरिका की प्राथमिक निशाने पर था।
ट्रंप की चेतावनी– या तो शांति या विनाश
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने एक सख्त बयान में कहा, “अब ईरान के पास दो ही रास्ते हैं– शांति या विनाश। अगर उसने दोबारा हमला किया, तो हम भी हमला करेंगे। अब तक सभी लक्ष्य नहीं मारे गए हैं। अगर हालात नहीं सुधरे, तो अगला कदम और भी घातक होगा।”
“ईरान के लिए सबसे बिनाशकारी रही रात”
ट्रंप ने यह भी कहा कि आज की रात ईरान के लिए सबसे कठिन और शायद सबसे विनाशकारी रही। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शांति जल्द नहीं आई, तो अमेरिका शेष लक्ष्यों पर भी अत्यधिक सटीकता और ताकत से हमला करेगा।
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