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वॉशिंगटन, वाईबीएन डेस्क। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों, खासकर चीन और भारत, पर कड़े प्रतिबंध लगाने के गंभीर असर हो सकते हैं। रुबियो ने रविवार को दिए एक बयान में कहा कि यदि अमेरिका ने रूस से तेल खरीद पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाए, तो वैश्विक तेल बाजार पर बड़ा असर पड़ेगा और कीमतें बढ़ेंगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ और रूस के साथ व्यापार पर 25% अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाया है।
अमेरिकी सीनेट में भारत- चीन पर 100 % टैरिफ का प्रस्ताव
रुबियो ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा- अगर चीन, रूस से तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और फिर वैश्विक बाजार में बेचता है, तो बाकी देशों को भी वही महंगा तेल खरीदना पड़ेगा या फिर दूसरा विकल्प तलाशना होगा। उन्होंने खुलासा किया कि अमेरिकी सीनेट में एक प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसमें भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने की बात है। वहीं कई यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव पर अपनी चिंता जताई है।
चीन पर टैरिफ की सीमा 90 दिन बढ़ा चुके हैं ट्रंप
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन पर लगने वाले टैरिफ की समयसीमा 90 दिन के लिए बढ़ा दी है। चीन रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है, जबकि भारत दूसरे स्थान पर है। 15 अगस्त को वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद ट्रंप ने संकेत दिए थे कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दंडात्मक टैरिफ लगाने पर आने वाले हफ्तों में फैसला किया जा सकता है।
“यूरोप के कई देश रूस से छुटकारा चाहते हैं”
रुबियो ने यह भी कहा कि यूरोप अभी भी रूस से तेल और प्राकृतिक गैस खरीद रहा है, हालांकि कुछ देश इससे छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप को अपने प्रतिबंध पैकेज को और मजबूत करना चाहिए। इस बीच, ट्रंप ने दावा किया कि भारत पर लगाए गए टैरिफ के कारण रूस को अपने दूसरे सबसे बड़े ग्राहक को खोना पड़ सकता है और इसी वजह से मॉस्को ने वॉशिंगटन से बैठक की मांग की।
ट्रंप ने भारत का खरीद कम करने का दावा किया
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- जब मैंने भारत को चेतावनी दी कि रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ लगाया जाएगा, तो उन्होंने खरीद कम कर दी। रूस के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था और चीन सबसे बड़ा। जब आपके दोनों बड़े ग्राहक छिनने लगें, तो इसका असर तय है। हालांकि भारत की ओर से इस संबंध में साफ किया गया था कि रूस से तेल खरीद को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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