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अपने ही नागरिकों की जासूसी क्यों कर रहा है Pakistan ?

एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान सरकार अपने नागरिकों पर बड़े पैमाने पर डिजिटल निगरानी कर रही है। खुफिया एजेंसियों के पास 4 मिलियन से अधिक मोबाइल फोन की निगरानी की क्षमता है

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Ranjana Sharma
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क: मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पाकिस्तान सरकार देशभर में लाखों नागरिकों की डिजिटल गतिविधियों पर निगरानी रख रही है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां कम से कम 40 लाख मोबाइल फोन की निगरानी करने में सक्षम हैं जबकि इंटरनेट पर सेंसरशिप के लिए चीन निर्मित एक उन्नत फायरवॉल का इस्तेमाल किया जा रहा है। एमनेस्टी ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने अब तक 6.5 लाख से अधिक वेब लिंक ब्लॉक कर दिए हैं, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

मोबाइल फोन की निगरानी के लिए उन्नत सिस्टम

एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुफिया एजेंसियों के पास लॉफ़ुल इंटरसेप्शन मैनेजमेंट सिस्टम नामक प्रणाली के जरिए किसी भी समय लाखों मोबाइल फोन की कॉल, संदेश और डेटा ट्रैक करने की क्षमता है। रिपोर्ट के अनुसार सभी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को इस निगरानी प्रणाली से जुड़ने का आदेश दिया गया है। एमनेस्टी टेक्नोलॉजिस्ट जुर्रे वैन बर्गे ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि निगरानी में रखे गए मोबाइल फोनों की वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है।

चीन निर्मित फायरवॉल से इंटरनेट सेंसरशिप

इंटरनेट पर सेंसरशिप के लिए पाकिस्तान ने वेब मॉनिटरिंग सिस्टम 2.0 नामक एक शक्तिशाली फायरवॉल का उपयोग किया है। यह सिस्टम चीनी कंपनी गीगनेटवर्क्स द्वारा विकसित किया गया है, जिसका संबंध बीजिंग की सरकारी कंपनियों से बताया गया है। एमनेस्टी का कहना है कि यह फायरवॉल अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की कंपनियों के हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर से भी जुड़ा हुआ है। इसमें अमेरिका स्थित नियाग्रा नेटवर्क्स के उपकरण, फ्रांस की कंपनी थेल्स डीआईएस के सॉफ्टवेयर और एक चीनी सरकारी आईटी फर्म के सर्वर शामिल हैं। इसका एक पुराना संस्करण कनाडा की सैंडवाइन पर आधारित था।

पाकिस्‍तान सरकार ने किया इनकार

हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालयों ने कॉल मॉनिटरिंग की किसी भी प्रणाली से इनकार किया है, लेकिन दूरसंचार नियामक ने एक अदालती पूछताछ में स्वीकार किया कि मोबाइल ऑपरेटरों को "निर्दिष्ट एजेंसियों के लिए एलआईएमएस स्थापित करने के निर्देश दिए गए थे। एमनेस्टी का दावा है कि निगरानी और सेंसरशिप की ये गतिविधियां चीनी और पश्चिमी दोनों तकनीकों पर आधारित हैं और इसका मकसद सरकार की आलोचना को दबाना है।

राजनीतिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा

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पाकिस्तान में अभिव्यक्ति और मीडिया की स्वतंत्रता पहले से ही सीमित है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के बाद जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना के रिश्ते बिगड़े, स्थिति और भी खराब हो गई है। इसके बाद खान को जेल भेजा गया और उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। एमनेस्टी ने चेतावनी दी है कि इस तरह की बड़े पैमाने की निगरानी और इंटरनेट फिल्टरिंग से नागरिकों में भय का माहौल बनता है और लोग ऑनलाइन या ऑफलाइन अपने विचार व्यक्त करने से कतराने लगते हैं। मानवाधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाक्रम सरकारी नियंत्रण की बढ़ती प्रवृत्ति और नागरिक स्वतंत्रताओं के हनन की ओर इशारा करता है। एमनेस्टी ने मांग की है कि पाकिस्तान सरकार निगरानी और सेंसरशिप से जुड़े सभी कार्यक्रमों की स्वतंत्र जांच कराए और नागरिकों की निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दे।
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