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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थल ल्हासा का दौरा कर एक संदेश दिया है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बत की क्षेत्रीय, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से परे जाकर चीन के व्यापक एजेंडे को इस पवित्र भूमि पर लागू करने का संकेत दिया। शी जिनपिंग की यह यात्रा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत तिब्बती संस्कृति और बौद्ध धर्म को पार्टी के नियंत्रण में लाकर एकीकृत किया जाना है।
तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी समाजवाद के मॉडल के साथ जोड़ा जाए
चीन के प्रमुख अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग ने ल्हासा में कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय कैडरों को निर्देश दिया कि वे क्षेत्र में तिब्बती भाषा की बजाय मंदारिन भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दें। जबकि तिब्बती भाषा और इसकी लिपि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर है और ल्हासा में बोली जाने वाली बोली को स्टैंडर्ड तिब्बती माना जाता है, शी ने चीन की मुख्य भाषा मंदारिन के प्रसार पर विशेष जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी समाजवाद के मॉडल के साथ जोड़ा जाए और तिब्बत को एक “आधुनिक समाजवादी तिब्बत” में तब्दील किया जाए। इसके अतिरिक्त शी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को जातीय एकता सुधारने और इसे दर्शाने के लिए विशेष जिले स्थापित करने के आदेश भी दिए। तिब्बत पर चीन की पकड़ को मजबूत करने के इशारे के साथ उन्होंने कहा कि तिब्बत के शासन और विकास के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता आवश्यक है। इसके साथ ही जातीय एकता और धार्मिक समुदायों के बीच सामंजस्य भी सुनिश्चित करना होगा।
शी जिनपिंग 12 साल के कार्यकाल में तिब्बत का दूसरा दौरा
शी जिनपिंग अपने 12 साल के कार्यकाल में यह तिब्बत का दूसरा दौरा कर रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय हुई है जब चीन ने दलाई लामा के उत्तराधिकार को मानने से इंकार कर दिया है। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया और 1965 में इसे तिब्बत ऑटोनॉमस रिजन घोषित कर शासन शुरू किया। उस समय से ही तिब्बती बौद्धों पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार की कड़ी नज़र रही है। इसी दबाव के कारण 1959 में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा भारत के धर्मशाला में निर्वासित हो गए, जहां वे आज भी रह रहे हैं। इस साल तिब्बत ऑटोनॉमस रिजन की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है, जिसके अवसर पर शी जिनपिंग का यह दौरा खास महत्व रखता है। इससे पहले 2021 में भी शी ने तिब्बत का दौरा किया था। अब तक इस क्षेत्र के स्थापना के 60 वर्षों में केवल दो चीनी राष्ट्रपतियों ने ही यहां का दौरा किया है, जिनमें से शी जिनपिंग दो बार यहां आए हैं। इससे पहले 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति जियांग जेमिन ने तिब्बत का दौरा किया था।
तिब्बती तिब्बत को स्वायत्त क्षेत्र बताते हैं
तिब्बत की भौगोलिक स्थिति के कारण इसे “एशिया की छत” कहा जाता है। चीन में तिब्बत को ‘जियांग’ (Xizang) के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र चीन की राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों का केंद्र बना हुआ है। बीजिंग इसे अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, जबकि लाखों तिब्बती इस दावे को स्वीकार नहीं करते और तिब्बत को स्वायत्त क्षेत्र बताते हैं। वे इसे चीन द्वारा सांस्कृतिक हस्तक्षेप और दमन की जगह मानते हैं। शी जिनपिंग का यह दौरा तब हुआ है जब चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल डैम बनाने की योजना घोषित की है, जिससे पड़ोसी देशों में चिंता बढ़ गई है। इसके अलावा दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन और दलाई लामा के समर्थकों के बीच विवाद भी गहरा गया है। चीन ने कहा है कि दलाई लामा के किसी भी उत्तराधिकारी को सरकार से अनुमति लेनी होगी, जबकि दलाई लामा इसे अपनी धार्मिक परंपरा में दखलअंदाजी करार देते हैं। चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी के अनुसार, शी जिनपिंग बुधवार दोपहर ल्हासा पहुंचे। उनके साथ चीनी शीर्ष राजनीतिक सलाहकार वांग हुनिंग, राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ कै क्यू, यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के प्रमुख ली गंजी, उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग, और लोक सुरक्षा मंत्री वांग शियाओहोंग जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी थे। शी ने क्षेत्रीय अधिकारियों, सुरक्षा बलों और धार्मिक नेताओं से मुलाकात की, जिनमें तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा भी शामिल थे।
तिब्बत की स्वायत्तता की मांग करने वाले संगठनों ने शी जिनपिंग का विरोध किया
ल्हासा में शी जिनपिंग के स्वागत के दौरान स्थानीय निवासियों ने जौ के दानों से पारंपरिक आशीर्वाद दिया। उन्होंने भीड़ को हाथ हिलाकर अभिवादन किया और लाल कालीन पर चले, उनके पीछे वांग हुनिंग और तिब्बत पार्टी प्रमुख वांग जुनझेंग भी थे। तिब्बत की स्वायत्तता की मांग करने वाले संगठनों ने शी जिनपिंग के इस दौरे का कड़ा विरोध किया है। ‘तिब्बत इन वाशिंगटन’ संस्था के प्रतिनिधि नामग्याल चोडेप ने कहा कि शी का दो बार तिब्बत दौरा करना यह संकेत हो सकता है कि तिब्बत में स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितना चीन दिखाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 60 साल के CCP शासन के बावजूद तिब्बत एक पुलिस राज्य है और यह चीन का सबसे निगरानी वाला क्षेत्र है। तिब्बत की स्वायत्तता की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए शी जिनपिंग की यात्रा “खोखली” प्रतीत होती है क्योंकि बीजिंग के पास तिब्बत में अपनी मौजूदगी की न तो ऐतिहासिक और न ही लोकप्रिय वैधता है। दरअसल, शी जिनपिंग की यह यात्रा चीन की आंतरिक स्थिरता को दिखाने की कोशिश है, लेकिन साथ ही यह तिब्बत की स्वायत्तता को लेकर विरोध और विवाद का विषय भी बनी हुई है। xi jinping | Dalai lama
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