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Cyber Fraud
कविता श्रीवास्तव, वाईबीएन नेटवर्क।
डिजिटल अरेस्ट सहित साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं आज आए दिन सुनने को मिल रही हैं। 2024 में ऐसी असंख्य घटनाएं सामने आईं, जिसमें लाखों करोड़ों की ठगी की गई। साइबर ठग ऐसी घटनाओं को पुलिस, सीबीआई या आयकर अधिकारी बनकर अंजाम देते हैं। लोग अपने या प्रियजनों की चिंता के कारण उनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं। हालांकि गृह मंत्रालय और आरबीआई लगातार इस बात का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं कि पुलिस या सीबीआई या इनकम टैक्स के किसी भी अधिकारी द्वारा डिजिटल अरेस्ट किए जाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। जामताड़ा, नूंह या विदेश में किसी स्थान पर बैठे साइबर अपराधी देश विदेश के लोगों को अपनी बातों और लालच में फंसाकर हर दिन लाखों-करोड़ों की ठगी कर रहे हैं। इंटरनेट और ऑनलाइन कामकाज व भुगतान के बढ़ते चलन के कारण ऐसे अपराधियों द्वारा लोगों को अपने जाल में फंसाना और आसान हो जाता है। थोड़ी सी लापरवाही या लालच में आकर वे अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं। इसके अलावा, दूसरे देशों में बैठे साइबर अपराधी सरकारी संस्थानों सहित बैंकों/वित्तीय संस्थानों की वेबसाइट/पोर्टल में सेंध लगाकर हैकिंग या ठगी कर रहे हैं। तेजी से बढ़ती इस तरह की घटनाओं को देखते हुए बड़े पैमाने पर साइबर/डाटा सिक्योरिटी विशेषज्ञों की आवश्यकता है, लेकिन बेहतर प्रशिक्षण के अभाव में ऐसे विशेषज्ञों की कमी लगातार बनी हुई है। यही कारण है देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों द्वारा इस तरह के उन्नत कोर्स आरंभ करने की पहल की जा रही है।
बढ़ रहा साइबर सुरक्षा का बाजार
कंफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में साइबर सिक्योरिटी मार्केट लगातार बढ़ रहा है, जिसके 2025 के आखिर तक करीब दो गुना तक हो जाने की उम्मीद है। स्टारटिस्टा के अनुसार अभी यह मार्केट 15.4 अरब अमेरिकी डालर का है। जानकारों की मानें, तो साल 2020 यानी कोविड के बाद ऑनलाइन गतिविधियां पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गई हैं। अब लगभग सभी तरह के कारोबार ऑनलाइन होने लगे हैं। लोगों की भी ऑनलाइन गतिविधियां बढ़ गई हैं। इसलिए साइबर अपराध के खतरे भी अब पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं। इससे साइबर सुरक्षा से जुड़े उपकरणों और इसके विशेषज्ञों दोनों की मांग बढ़ी है। साइबर सुरक्षा का मतलब ऑनलाइन सिक्योरिटी से है। साइबर सिक्योरिटी से जुड़े विशेषज्ञों की मांग अब केवल आफिसों के सर्वर और सिस्टम की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है। इससे संबंधित जितने भी सॉफ्टवेयर, एप्स या वेबसाइट बन रहे हैं या संचालित हो रहे हैं, उनमें साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी ऐसे विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं।
जानें कहां-कहां हैं अवसर
साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आप अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर कई भूमिकाओं में कार्य कर सकते हैं, जैसे कि सिक्योरिटी आर्किटेक्ट , सिक्योरिटी कंसल्टेंट, सिक्योरिटी टेस्टर, नेटवर्क सिक्योरिटी इंजीनियर, क्लाउड सिक्योरिटी एक्सपर्ट इत्यादि। चूंकि यह फील्ड लेटेस्ट तकनीक से जुड़ा है, इसलिए उन युवाओं के लिए यह ज्यादा उपयुक्त है, जो टेक्नोलाजी में गहरी रुचि रखते हैं और जो बीटेक (सीएस/आईटी) या समकक्ष पृष्ठभूमि से हैं।
क्या हो स्किल
साइबर सुरक्षा में कुशलता और विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए आईआईटी कानपुर समेत विभिन्न तकनीकी संस्थानों में इन दिनों कई तरह के प्रोग्राम/सर्टिफिकेशन संचालित हो रहे हैं। ऐसे कोर्स छात्रों के अलावा कामकाजी लोग भी कर सकते हैं। वैसे, बारहवीं के बाद इससे संबंधित कोर्स किया जा सकता है।
आकर्षक है वेतन/कमाई
डाटा सिक्योरिटी से जुड़े पेशेवरों को हर जगह आकर्षक सैलरी पैकेज ऑफर हो रहे हैं। विशेषज्ञता के आधार पर युवाओं को इस फील्ड में शुरुआत में ही 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये महीने की सैलरी मिल सकती है। अनुभव और स्किल बढ़ने के साथ कमाई की कोई लिमिट नहीं है। यहां बेसिक समझ रखने वालों को भी शुरुआत में 25 से 30 हजार रुपये तक मासिक सैलरी आसानी से मिल जाती है। जिन युवाओं ने खुद को री-स्किल कर लिया है या ऑनलाइन कोर्सों के जरिए अपने को अपडेट कर लिया है, उन्हें भी 10 से 12 लाख रुपये तक सालाना पैकेज मिल रहे हैं।
इन संस्थानों से कर सकते हैं कोर्स
-आईआईटी कानपुर
www.iitk.ac.in
-इंस्टीट्यूट आफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी, मुंबई
http://iisecurity.in
-इंडियन स्कूल आफ एथिकल हैकिंग, बेंगलुरु
www.isoeh.com
-एनआइईटी, ग्रेटर नोएडा
www.niet.co.in
अपडेटेड कोर्स का उठाएं लाभ
साइबर सिक्योरिटी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके विशेषज्ञों की मांग हमेशा बनी रहने वाली है। आपको इस काम में महारत हासिल है, तो इसमें आगे बढ़ने और कमाने की असीमित संभावनाएं हैं। जिस तेजी से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, उसे रोकने के लिए सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में बड़ी संख्या में इसके जानकार चाहिए। ऐसे में युवाओं को रुचि लेकर स्वयं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए। उन संस्थानों से कोर्स करने को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो बदलते समय और भविष्य की तकनीकों का ध्यान रखते हुए न केवल एडवांस साफ्टवेयर/तकनीक के साथ कोर्स करा रहे हैं, बल्कि उसे लगातार अपडेट भी कर रहे हैं।
डा. रमन बत्रा, तकनीकी मामलों के जानकार
ऑनलाइन ई-मास्टर्स प्रोग्राम
साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में इस वर्ष और आगे लाखों नौकरियों की संभावना को देखते हुए आईआईटी कानपुर द्वारा साइबर सुरक्षा से संबंधित एक वर्षीय ई-मास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया गया है। इस कोर्स में आईआईटी की विशेषज्ञ फैकल्टी से मार्गदर्शन मिलने के साथ ही आईआईटी के प्लेसमेंट सेल का सहयोग भी मिलेगा। इसके अलावा, एल्युमिनाई कनेक्ट का भी लाभ मिलेगा। इस कोर्स के लिए संबंधित क्षेत्र में चार वर्षीय स्नातक या फिर मास्टर डिग्री (कंप्यूटर साइंस, इंफॉर्मेशन टेक्नोलाजी, एमसीए) कम से कम 55 प्रतिशत अंक या 5.5/10 सीपीए या कम से कम दो साल का कार्य अनुभव होना चाहिए। कोडिंग की जानकारी रखने वालों के लिए यह प्रवेश की अतिरिक्त योग्यता मानी जाएगी। ई-मास्टर्स प्रोग्राम के लिए आनलाइन पंजीकरण कराना होगा। प्रोग्राम में चयन के लिए आवश्यकतानुसार टेस्ट लिया जाएगा यानी सीधे भी प्रवेश मिल सकता है। इस एक वर्षीय पाठ्यक्रम को अधिकतम तीन वर्ष में पूरा किया जा सकता है। प्रोग्राम की कुल फीस आठ लाख रुपये है। कोर्स करने वालों को सप्ताह में एक दिन शिक्षकों के साथ ऑनलाइन जुड़ना होगा। अन्य दिन अपने स्तर पर पढ़ सकते हैं। इस कोर्स के लिए आईआईटी कानपुर की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
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आईआईटी कानपुर के अन्य प्रोग्राम
साइबर सुरक्षा से संबंधित आइआइटी कानपुर में अभी ई-मास्टर्स प्रोग्राम के अलावा कई तरह के प्रोग्राम्स संचालित हो रहे हैं, जैसे कि एमटेक इन साइबर सिक्योरिटी। इस कोर्स में गेट के द्वारा प्रवेश दिया जाता है। इसके अलावा एडवांस्ड सर्टिफिकेशन प्रोग्राम इन साइबर सिक्योरिटी एंड साइबर डिफेंस नाम से भी कोर्स यहां संचालित हो रहा है। इसके अब तक सात बैच पूरे हो चुके हैं, जिसमें 700 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। हर सप्ताह इसकी कक्षाएं होती हैं और 120 घंटे की हैंड्स आन ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें प्रवेश के लिए संबंधित क्षेत्र में स्नातक और एक वर्ष का अनुभव अथवा डिप्लोमा के साथ तीन वर्ष का कार्य अनुभव होना चाहिए। इसकी फीस भारतीय नागरिकों के लिए 1.75 लाख रुपये और विदेशी विद्यार्थी के लिए 2800 यूएस डालर है। यह प्रोग्राम छह माह का है। इसके अलावा, इस आइआइटी में 48 घंटे का सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी संचालित किया जा रहा है, जिसमें अब तक 10 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
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एक्सपर्ट व्यूः विशेषज्ञता बढ़ाकर रहें आगे
अपने देश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं। दुनिया के कई देशों से हर रोज देश के विभिन्न राष्ट्रीय व व्यावसायिक संस्थानों में साइबर हमले किए जा रहे हैं। खासतौर से डाटा चोरी और सिस्टम को हैक करने की समस्या सबसे बड़ी है। इसे रोकने के लिए साइबर सिक्योरिटी की जरूरत उसी तरह से है, जैसे देश की सीमा पर सैनिक डटे हुए हैं। ऐसे में आईआईटी कानपुर का साइबर सुरक्षा से जुड़ा ई-मास्टर्स प्रोग्राम उन लोगों को विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जो पहले से इस क्षेत्र में या इससे जुड़े अन्यग किसी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। साइबर वर्ल्ड से जुड़कर विशेषज्ञ बनने की चाह रखने वाले आनलाइन माध्यम से ई-मास्टर्स प्रोग्राम करके चीफ इंफार्मेशन सिक्योरिटी आफिसर, इंफार्मेशन सिक्योरिटी आफिसर, साइबर सिक्योरिटी आर्किटेक्ट, सिक्योरिटी इंजीनियर, सिक्योरिटी एनालिस्ट, इन्सीडेंट रिस्पांस कोआर्डिनेटर व साइबर सिक्योरिटी कंसल्टेंट जैसे अनेक पदों पर नौकरी पा सकते हैं।
प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर
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