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संसद के अगले सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है सरकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा जिस समय दिल्‍ली हाई कोर्ट के न्‍यायाधीश थे उस दौरान घर में लगी आग ने उनका खेल बिगाड़ दिया। आग बुझाने के दौरान उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में मिली जली हुई नकदी सुर्खियां बनी थी।

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Narendra Aniket
Justice Yashwant Verma

Justice Yashwant Verma cash scandal

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नई दिल्‍ली, वाई बीएन डेस्‍क। केंद्र सरकार संसद के अगले सत्र में वर्तमान में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध महाभियोग प्रस्‍ताव लाने की तैयारी में जुट गई है। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का हवाला देते हुए बताया कि महाभियोग प्रस्‍ताव के लिए सभी दलों से बातचीत की जाएगी। 

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घर में लगी आग ने जज को कठघरे में खड़ा किया

जस्टिस यशवंत वर्मा जिस समय दिल्ली हाई कोर्ट के न्‍यायाधीश थे उसी दौरान लुटियंस जोन में स्थित उनके सरकारी आवास में 14 मार्च को रात 12 बजे से पहले आग लग गई थी। उस समय जस्टिस वर्मा घर से बाहर दूसरी जगह गए हुए थे। आग बुझाने पहुंची अग्निशमन और पुलिस की टीम को वहां से जली हुई नकदी मिली थी। पहले तो नकदी मिलने की जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई और दिल्‍ली पुलिस के गोलमोल बयान आए, लेकिन बाद में भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने की पुष्टि की गई। इसके बाद जस्टिस वर्मा सवालों के घेरे में आ गए।

तबादला कर सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति बनाई

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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को दिल्‍ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट तबादला कर दिया और मामले की जांच के लिए तीन सदस्‍यीय समिति गठित कर दी। समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरमन शामिल थीं। 

जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों को सही पाया

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने तीन मई को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा पर लगे नकदी बरामदगी के आरोपों को सही पाया गया है। 

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नियम क्‍या कहता है

नियमानुसार नोटिस मिलने के बाद पीठासीन अधिकारी एक जांच समिति गठित करते हैं और उसकी रिपोर्ट के बाद महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।   

लोकसभा या राज्‍यसभा में लाया जा सकता है प्रस्‍ताव

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 यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है कि महाभियोग प्रस्‍ताव लोकसभा में लाया जाएगा या फिर राज्यसभा में। लोकसभा में प्रस्‍ताव लाने के लिए सौ और राज्यसभा में लाने के लिए पचास सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।

सरकार को विपक्ष से सहयोग की आस

इस मुद्दे पर सरकार को विपक्ष के सहयोग मिलने की उम्मीद है। महाभियोग प्रस्ताव के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है। लेकिन विपक्ष जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ लंबित प्रस्ताव की याद दिला सकता है। 

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