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देश में ऐसे कई विश्वविख्यात मंदिर हैं, जिनमें लोगों की गहरी आस्था है। ऐसा ही एक मंदिर कल्याणपुर के इंद्रा नगर में है। माता आशा देवी के इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है। मान्यता है कि माता सीता ने बिठूर में निवास के दौरान यहां शिला पर देवी मां की आकृति बनाकर पूजन अर्चन किया था। लोगों का विश्वास है कि यहां भक्त जो भी सच्चे मन से मांगते है वह मन्नत पूरी होती है। शहर के अलावा आसपास के जिलों के भक्तों की भी आस्था यहां से जुड़ी है। नवरात्रि पर तो यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।
मां सीता की कामना पूरी होने की वजह से मंदिर का नाम आशा देवी मंदिर पड़ा। मंदिर में माता आशा देवी के साथ भगवान ओंकारेश्वर, शनिदेव व भैरों बाबा की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। भक्त, मां के दर्शन के बाद गौशाला में गाय की सेवा भी करते हैं।
भक्तों के मुताबिक माता सीता बिठूर में निवास के दौरान यहां भी आती थीं। यहीं उन्होंने एक शिला पर आशा माता की आकृति बनाकर महामाया स्वरूप का पूजन शुरू किया था। इससे उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हुईं और प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए।
त्रेतायुग कालीन आशा देवी मंदिर प्राचीन शैली से निर्मित हैं। महंत आशुतोष गिरि के मुताबिक, मां आशा देवी के पूजन के बाद ओंकारेश्वर महादेव, भैरों बाबा और शनि महाराज के दर्शन किए जाते हैं। मुख्य मंदिर परिसर की छत पर आज भी कोई निर्माण नहीं किया गया है। मां खुले आसमान के नीचे रहकर भक्तों पर अपनी कृपा लुटाती हैं।
रामादेवी की ओर से आने वाले भक्त कल्याणपुर होकर जीटी रोड के किनारे स्थित मंदिर पहुंचते हैं। सचेंडी, घंटाघर, परेड, चुन्नीगंज और शहर के किसी भी भाग से आने वाले भक्त कल्याणपुर चौराहे से मंदिर तक आते हैं।
नवरात्रि में पूरे देशभर से भक्त दर्शन पूजन व श्रृंगार के लिए आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त माता को हलवे का भोग लगाकर भंडारा कराते हैं। यहां मां एक शिला के रूप में विराजमान हैं। सच्चे मन से देवी मां को पुष्प अर्पित करने से ही सभी आस पूरी होती हैं।
मां आशा देवी मंदिर में अपनी फरियाद लाने वाले भक्त नवरात्रि में पूजन के बाद यहां विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं। उनका मानना है कि उन्होंने अपनी इच्छा मां आशा देवी मंदिर में आकर कह दी है, अब उनकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाएगी। मनोकामना पूरी होने से पहले वह विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं।
मां आशा देवी मंदिर के महंत ने बताया कि मंदिर में चुनरी बांधने व ईट चढ़ाने से भी मनोकामना पूर्ण होती है। कई भक्त यहां मन्नत मांगते हैं और चुनरी बांधते है. मगर विशेष कृपा पाने के लिए ईंट भी चढ़ाई जाती है।