कानपुर, वाईबीएन संवाददाता।
कानपुर में अलविदा की नमाज के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वक्फ बिल के विरोध में सांकेतिक प्रदर्शन किया। नमाजियों ने काली पट्टी बांध कर नमाज अदा की। यह प्रदर्शन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर किया गया। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि यह प्रदर्शन वक्फ बिल के खिलाफ था, जिसे लेकर मुसलमानों में गहरी चिंता है।
बिल से प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ने की आशंका
नमाज के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकजुटता दिखाई और काली पट्टियों के माध्यम से विरोध प्रकट किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों में प्रशासन का हस्तक्षेप बढ़ सकता है, जो उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की मंशा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फाउंडर मेंबर मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने आह्वान किया था कि रमजान के आखिरी जुमे पर नमाज के लिये जब लोग जाएं तो दाहिने हाथ पर काली पट्टी बांधकर जाएं, ताकि ये सांकेतिक आंदोलन का एक हिस्सा बना रहे। बोर्ड ने इसलिए यह तय किया ताकि यह सरकार जो वक्फ बोर्ड का संशोधन बिल ला रही है, उसके पीछे वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की मंशा झलक रही है।
किसी के भी बोर्ड में दूसरे समुदाय की गुंजाइश नहीं
उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक धर्मनिर्पेक्ष देश है। यहां तमाम धर्मों के बोर्ड हैं। इसमें अकाल तख्त है, मंदिरों के न्यास हैं। इनमें कहीं भी दूसरे समुदाय के लोग नहीं होते हैं, जबकि इस बिल के जरिये वक्फ बोर्ड में दूसरे समुदाय के लोगों को सदस्य बनाने का रास्ता खोला जा रहा है। वक्फ बोर्ड में नामिनेशन का दरवाजा खोल रहे हैं। जबकि वक्फ बोर्ड और वक्फ सेंट्रल काउंसिल इलेक्टेड होती है। इसकी देखभाल और व्यवस्था का अधिकार संवैधानिक तौर पर सिर्फ मुसलमानों को है। गैर समुदायों के लोगों को इसमें दाखिल नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा पर सांप्रदायिक एजेंडे का आरोप
उन्होंने कहा कि भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के तहत ये संशोधन लाकर भारत के मुसलमानों को तंग करना चाहती है। वक्फ की जायजादों पर कब्जा करना चाहती है, ताकि उन्हें अपने कारपोरेट दोस्तों को दे सके।
आगे की कार्रवाई पर बोर्ड का फैसला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रदर्शन का समर्थन किया और यह भी कहा कि इस बिल के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर बोर्ड निर्णय लेगा। इस आंदोलन से यह संदेश दिया गया कि मुस्लिम समुदाय अपने धार्मिक अधिकारों और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण को लेकर संजीदा है।