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लभेर : डिहाइड्रेशन से लेकर फोड़े-फुंसी ठीक करने तक, बहुत सारे हैं फायदे

प्रकृति की गोद में कई सारे फल हैं, जिनसे हम अनजान हैं। इन्हीं में से एक हैं 'लभेर', जिसे कई लोग लमेड़ा, लसोढ़ा आदि कहते हैं। यह एक ऐसा पौधा है, जिसके फल, छाल, पत्तियां और गोंद का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

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YBN News
LabhER

LabhER Photograph: (IANS)

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नई दिल्ली, आईएएनएस। प्रकृति की गोद में ऐसे कई सारे फल हैं, जिनसे हम आज भी अनजान हैं। इन्हीं में से एक हैं 'लभेर', जिसे कई लोग लमेड़ा, लसोढ़ा आदि कहते हैं। यह एक ऐसा पौधा है, जिसके फल, छाल, पत्तियां और गोंद का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। यह पौधा भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है और इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। 

कई औषधीय गुण पाए जाते हैं

लभेर का वैज्ञानिक नाम 'कॉर्डिया डाइकोटोमा' है। इसके पत्ते चिकने होते हैं। पकने के बाद इसके फल का रंग पीला होता है। लभेर के फल जून के अंत तक पक जाते हैं। खास बात यह है कि इसके फल पकने से मानसून के आगमन का भी अनुमान लगाया जाता है। इसके फल बहुत मीठे होते हैं। पक्षी इस पूरे फल को गुठली समेत निगल जाते हैं और फिर दूर-दूर तक इसके बीजों का प्रसार होता है।

बेहद मीठा और चिपचिपा होने की वजह से...

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बेहद मीठा और चिपचिपा होने की वजह से इस फल को आमतौर पर लोग नहीं खाते हैं। हालांकि, इसका अचार के रूप में सेवन किया जाता है। वहीं, इसके पत्तों का स्वाद पान की तरह होता है। जिस वजह से दक्षिण भारत, गुजरात और राजस्थान में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है। यह खासकर तौर से गांव के आस-पास मेडों पर पाया जाता है। इसकी लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इसकी लकड़ी के तख्त भी बनाये जाते हैं और बंदूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।

लभेर को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि माना गया

लभेर को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। गर्मियों में इसका सेवन करने से डिहाइड्रेशन की समस्यानहीं होती और लू से बचाव होता है। साथ ही शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है, लसोड़े का इस्तेमाल फोड़े-फुंसियां के उपचार के लिए भी किया जाता है।

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दाद, फोड़े-फुंसी संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने के लिए लसोड़े का इस्तेमाल किया जाता है। लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने सेफुंसी की समस्याजल्दी ही ठीक हो जाती हैं। वहीं, इसके बीजों को पीसकर दाद पर लगाने से बहुत लाभ मिलता है।

गरारे करने से गले के कई रोग ठीक हो जाते

लसोढ़ा की छाल के काढ़े से गरारे करने से गले के कई रोग ठीक हो जाते हैं। इसके अचार के सेवन से ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक गुण भी पाई जाती हैं। जिन लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं, जैसे गैस, अपच, पेट दर्द, सीने में जलन, दिल और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं है, वह इसके अचार के सेवन से परहेज करें, क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा होती है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

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