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Teachers' Day पर सुभाष घई का ओशो को नमन, बोले- '40 साल से मेरे मित्र और गुरु'

शिक्षक दिवस के अवसर पर, फिल्म निर्माता सुभाष घई ने आध्यात्मिक गुरु ओशो को अपना 'मित्र और गुरु' बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। घई ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ओशो के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की और उनके जीवन पर ओशो के गहरे प्रभाव को व्यक्त किया।

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YBN News
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SubhashGhaiOsho Photograph: (AI)

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मुंबई। शिक्षक दिवस के अवसर पर, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई ने आध्यात्मिक गुरु ओशो को अपना 'मित्र और गुरु' बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। घई ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ओशो के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की और उनके जीवन पर ओशो के गहरे प्रभाव को व्यक्त किया।

शिक्षक दिवस पर हुआ खुलासा

हर साल 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो छात्रों के जीवन को आकार देने में शिक्षकों के योगदान का सम्मान करने का दिन है। इस अवसर पर, बॉलीवुड के 'शोमैन' के रूप में जाने जाने वाले प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई ने अपने आध्यात्मिक गुरु ओशो को एक मार्मिक श्रद्धांजलि दी।

ओशो के विचारों को किया साझा

मालूम हो कि घई ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर ओशो की एक तस्वीरपोस्ट की और एक लंबा नोट लिखा जिसमें उन्होंने अपने जीवन और काम पर ओशो के प्रभाव को स्वीकार किया। घई ने लिखा कि ओशो पिछले 40 वर्षों से उनके निरंतर मित्र और शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने उन्हें जीवन, लोगों, ऊर्जा और 'सत्य के पीछे के सत्य' के हर तरह के दर्शन से मनोरंजन किया है। उन्होंने ओशो के एक महत्वपूर्ण उपदेश को भी याद किया, "मेरी बात सुनो, पर मेरा अनुसरण मत करो। बस स्वयं के साक्षी बनो।" उन्होंने कहा कि वह पिछले चार दशकों से ओशो की शिक्षाओं का पालन कर रहे हैं। शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं। 

एक आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक

ओशो का असली नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था। ओशो 20वीं सदी के एक भारतीय रहस्यवादी, आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक थे। वे एक विवादास्पद गुरु थे, जिन्होंने किसी भी संगठित धर्म को स्वीकार नहीं किया। उनका मानना था कि आध्यात्मिक अनुभव को किसी धार्मिक ढांचे में नहीं बांधा जा सकता। दुनियाभर में उनके लाखों अनुयायी हैं, जो उनके विचारों से प्रेरित हैं।

सेंसरशिप के मुद्दे

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सुभाष ने कार्यक्रम की तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके लिखा था, "जैसे परिवार में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि क्या देखना चाहिए और क्या बोलना चाहिए, वैसे ही सिनेमा और अन्य कंटेंट पर सेंसरशिप जरूरी है। जैसे ट्रैफिक लाइट्स सड़क पर व्यवस्था बनाए रखती हैं, वैसे ही समाज में सामाजिक मूल्यों को सुरक्षित रखने के लिए कंटेंट पर मर्यादा जरूरी है। हम सब एक परिवार की तरह हैं, और परिवार में कुछ नियम और सीमाएं होती हैं।" इससे पहले निर्माता-निर्देशक मुंबई के रोटरी क्लब में एक कार्यक्रम में गए थे, जहां उन्होंने सेंसरशिप के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने सिनेमा और अन्य कला के लिए सेंसरशिप को जरूरी बताया।

सफल हिंदी फिल्म निर्माता

सुभाष घई 1980 और 1990 के दशक के सबसे सफल हिंदी फिल्म निर्माताओं में से एक हैं। उन्होंने ‘कर्ज’, ‘हीरो’, ‘राम लखन’, ‘सौदागर’ और ‘खलनायक’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं।

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