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10th Ayurveda Day : 'आधुनिक जीवनशैली के खान-पान में बदलाव कर अपने जीवन को स्वस्थ बनाएं'

राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया गया। आयुष राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र 'दयालु' ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ। कहा- आयुर्वेद, एक संतुलित स्वस्थ और दीघार्यु जीवन जीने की कला है।

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Vivek Srivastav
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कार्यक्रम के शुभारंभ से पहले आरती करते आयुष मंत्री। Photograph: (सोशल मीडिया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। जिसका अर्थ है-आयुषोवेद अर्थात जीवन का विज्ञान। यह केवल रोगों का उपचार नहीं, बल्कि एक संतुलित स्वस्थ और दीघार्यु जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और परंपरा सदियों से विश्व के लिए प्ररेणा का स्रोत रही है। हमारी जीवनशैली, हमारी सोच और हमारे विज्ञान के मूल्य में प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना रही है। आयुर्वेद का उद्गम भगवान धन्वंतरि से माना जाता है। यह कहना था प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एमओएस) डॉ. दयाशंकर मिश्र 'दयालु' का। वह टुड़ियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज एवं चिकित्सालय के सभागार में 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ करने के बाद संबोधन दे रहे थे।  

इस मौके पर आयुष मंत्री ने आधुनिक जीवनशैली के खान-पान में बदलाव कर अपने जीवन को स्वस्थ बनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने मोटे अनाज का उपयोग करने की सलाह दी है। उन्होंने 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुभकामनाएं दीं। आयुष मंत्री ने आयुर्वेद यूनानी एवं होम्योपैथी के लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण भी किया। आयुष मंत्री ने वाद-विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, आयुर्वेद आहार प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। उन्होंने 'आयुष देवशा' पत्रिका का विमोचन भी किया।

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पूजा करते आयुष मंत्री। Photograph: (सोशल मीडिया)

किसने क्‍या कहा

प्रमुख सचिव आयुष रंजन कुमार ने कहा कि आज के दिन को एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गंभीर प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाना, आयुर्वेद में विश्वास और विश्वसनीयता बढ़ाना और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से आयुर्वेद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, रोग से स्वास्थ्य-आयुर्वेद के माध्यम से रोग से स्वास्थ्य की संस्कृति को विकसित करना है। 

महानिदेशक एवं निदेशक आयुर्वेद श्रीमती चैत्रा वी. की ने 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुभकामना दी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाएं ताकि आज जनमानस निरोग रहे। उन्होंने कहा कि शरीर और जगत में पंचमहाभूत की सामंजस्य स्थापित करके ही स्वास्थ्य की कामना की जा सकती हैं।

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राष्ट्रीय आयुष मिशन उप्र निदेशक सुश्री निशा अनंत ने बताया कि चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में आयुष सेक्टर में बहुत अवसर है। हमारा प्राथमिक उपचार आयुर्वेद में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान शीघ्र ही उप्र में खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

विशेष सचिव आयुष श्री हरिकेश चौरसिया ने बताया कि आज दिन और रात बराबर है। ठीक इसी प्रकार प्रकृति और मनुष्य में भी संतुलन बनाकर चलना चाहिए। आयुर्वेद जीवन जीने की शैली है। इसकी सार्थकता को जन-जन तक पंहुचाना होगा। आयुर्वेद को अपनाकर आमजनमानस निरोग रह सकता है। 

इस अवसर पर निदेशक होम्योपैथिक, डॉ. पीके सिंह, यूनानी निदेशक, प्रो. जमाल अख्तर, राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय के प्राचार्य प्रो. डीके मौर्या, चिकित्सालय प्रभारी डॉ. धमेन्द्र सहित वरिष्ठ विभागीय चिकित्साधिकारी एवं विशिष्ठगणमान्य तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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