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स्मार्ट प्रीपेड मीटर से एक महीने में 13.20 करोड़ की वसूली, उपभोक्ता परिषद ने उठाई CBI-ED जांच की मांग

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया में संभावित घोटाले का आरोप लगाया है। परिषद के मुताबिक, प्रीपेड मीटर योजना का उपभोक्ताओं की सुविधा को कोई लेना-देना नहीं है।

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Deepak Yadav
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स्मार्ट प्रीपेड मीटर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। परिषद के मुताबिक, प्रीपेड मीटर योजना का उपभोक्ताओं की सुविधा को कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि इसके जरिए औद्योगिक समूहों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराना बेहद जरूरी है। ताकि वित्तीय अनियमिताताएं उजागर हो सकें।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि स्मार्ट मीटर के लिए केंद्र सरकार ने 18885 करोड़ अनुमोदित किया था। जबकि यूपी में निजी कंपनियों को टेंडर काफी ऊंची दरों पर दिया गया। जिससे इसकी लागत बढ़कर 27342 करोड़ रुपये पहुंच गई। ऐसे में 8500 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए गए। 

वर्मा ने कहा कि इस भारी लागत अंतर को छिपाने और औद्योगिक समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए पावर कॉरपोरेशन ने नए बिजली कनेक्शनों पर भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अतिरिक्त दर वसूलनी शुरू कर दी है। जो नियामक आयोग के आदेशों का उल्लंघन है।

प​रिषद अध्यक्ष ने कहा कि 10 सितंबर से अभी तक लगभग 20,243 स्मार्ट प्रीपेड मीटर आधारित कनेक्शन जारी किए गए हैं। इनमें 12944 घरेलू सिंगल फेस कनेक्शन हैं। इनमें 1 किलोवाट क्षमता वाले गरीब उपभोक्ता 4002 हैं। औसतन 6,016 रुपये की दर से केवल एक महीने में उपभोक्ताओं से लगभग 13.20 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है।

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वर्मा ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित वित्तीय हेरफेर की ओर इशारा करती है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद में अनियमितताओं पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को जेल जाना पड़ा था। ईडी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि एक कंपनी ने उन्हें रिश्वत में मर्सिडीज कार दी थी। 

उन्होंने सवाल किया कि जब हरियाणा में स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को 5% छूट दी जाती है, तो उत्तर प्रदेश में केवल 2 प्रतिशत क्यों? उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पूरा मामला सीबीआई या ईडी को सौंपा जाए। ताकि इस संभावित घोटाले की निष्पक्ष जांच हो सके।

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