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डीसीपी अपराध कमलेश दीक्षित, आरोपी प्रेम प्रकाश।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के सपने दिखाकर करोड़ों रुपये हड़पने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए साइबर क्राइम पुलिस हैरान रह गई। मास्टरमाइंड प्रेम प्रकाश विद्यार्थी, जो बिहार की जेल में बंद था, वहीं से 100 करोड़ की ठगी का पूरा नेटवर्क ऑपरेट करता रहा। इस हाई-प्रोफाइल रैकेट में उसका दायां हाथ बना संतोष कुमार, जिसे उसने जेल में ही अपने गैंग से जोड़ लिया था।पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि प्रेम प्रकाश सिर्फ जेल में बंद नहीं था वह वहाँ बैठकर पूरे भारत में मेडिकल एडमिशन का काला कारोबार चला रहा था। संतोष की जमानत होने के बाद यह नेटवर्क और भी बड़ा होता गया।
जेल से ‘कमान’ संभाल रहा था मास्टरमाइंड
बिहार से सहारनपुर पेशी पर ले जाते समय प्रेम प्रकाश पहले से रची साजिश के तहत पुलिस अभिरक्षा से चकमा देकर फरार हो गया। पुलिस को भनक तक नहीं लगी और वह सीधे दिल्ली पहुँचकर होटल में छिपा रहा। इसके बाद वह लखनऊ आया और ‘स्टडी पाथवे’ नाम से एडमिशन कंसल्टेंसी खोलकर फिर से अपनी ठगी का साम्राज्य खड़ा कर लिया।जांच में सामने आया है कि फरार होने के बाद उसने कई विदेशी यात्राएँ भी कीं और अपने साथी संतोष सहित कई सहयोगियों को विदेश में बुलाकर मीटिंग तक की।
कोचिंग से शुरू हुआ खेल, मेडिकल में एडमिशन तक बना करोड़ों का कारोबार
मथुरा के जीएलए विश्वविद्यालय से बीटेक करने के बाद प्रेम प्रकाश ने सबसे पहले गोरखपुर में कोचिंग खोली। शुरुआत में वह छात्रों को एडमिशन दिलाने का भरोसा दिलाता, फिर धीरे-धीरे यही ‘टैलेंट’ ठगी में बदल गया।बाद में बिहार में उसने नया ठगी मॉड्यूल विकसित किया और लखनऊ में 50 लोगों की टीम तक तैयार कर ली। इस टीम के अलग-अलग रोल थे—कुछ लोग छात्रों व अभिभावकों को कॉल करते, कुछ उन्हें मीटिंग पॉइंट तक बुलाते और अंतिम मुलाकात हमेशा खुद प्रेम प्रकाश करता ताकि भरोसा मजबूत हो।
तीन तरीकों से लूटते थे पैसे – फर्जी DD,ऑनलाइन पेमेंट और कैश
जांच में आरोपी ने कबूल किया कि वे पीड़ितों से तीन तरीकों से रुपये ऐंठते थे फर्जी नाम “हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस" के बैंक खाते में DD,ऑनलाइन ट्रांसफर, कैश, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं। पीड़ितों के पास सिर्फ DD और ऑनलाइन लेन-देन का ही सबूत होता था। कैश की रकम पूरी तरह हड़प ली जाती थी।
ऑनलाइन व DD की रकम लौटाकर मामला दबाता था
जब किसी पीड़ित की शिकायत दर्ज हो जाती, प्रेम प्रकाश चतुराई से केवल DD या ऑनलाइन दिए रुपये वापस करने का ऑफर देता था। कैश रकम का कोई हिसाब नहीं, इसलिए वह रकम हमेशा उसकी जेब में चली जाती थी।इंस्पेक्टर बृजेश यादव के अनुसार, “प्रेम प्रकाश बेहद चालाक, संगठित और हाई-प्रोफाइल ठग है। उसकी ठगी का शिकार हुए लोगों का आंकड़ा 1000 से भी ज्यादा है।
पुलिस गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश में
जांच में सामने आया है कि आरोपी अब MBBS के बाद MD और MS में एडमिशन का जाल फैलाने की तैयारी कर रहा था। दिल्ली में भी वह नया कंसल्टेंसी ऑफिस खोलने वाला था।साइबर क्राइम पुलिस अब प्रेम प्रकाश से जेल में मिलने वालों की सूची खंगालने जा रही है तथा उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य नाम surfaced हुए हैं। उनकी तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है।
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